20 FEB 2019 AT 23:46

अब के सावन में शरारत ये मेरे साथ हुई
मेरा घर छोड़ के कुल शह्र में बरसात हुई

आप मत पूछिए क्या हम पे सफ़र में गुज़री?
था लुटेरों का जहाँ गाँव वहीं रात हुई

ज़िंदगी-भर तो हुई गुफ़्तगू ग़ैरों से मगर
आज तक हमसे हमारी न मुलाक़ात हुई

हर ग़लत मोड़ पे टोका है किसी ने मुझको
एक आवाज़ तेरी जब से मेरे साथ हुई

मैंने सोचा कि मेरे देश की हालत क्या है
एक क़ातिल से तभी मेरी मुलाक़ात हुई

'गोपालदास नीरज'

- YQ Hindi