Your 'शुभ'✪   (©Silent_Šp_y*✍)
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Joined 25 March 2019


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10 NOV 2024 AT 18:55

दिल नहीं करता
पुनः भरोसा कर पाने को,
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दिल नहीं करता
किये वादों से मुकर जाने को,
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जहाँ दिल से दिल न मिले
वहाँ पुनः जाना ही क्यूँ...
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दिल नहीं करता
पुनः उस बेवफ़ा के बनाई
भ्रम जाल में फंस जाने को,

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8 NOV 2024 AT 18:10

लहजा वो तेरे बात करने का,
एहसास वो तेरे अपनेपन का,
जो भी हैं अब सब सही है...
सायद ये दुनिया ही ऐसी हैं
वक़्त-वक़्त पर बदल जाने का,

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7 NOV 2024 AT 12:05

मन मेरा उदास
आँखों में अब भी नमी हैं,
|
मेरे दिल के खालीपन में
आज भी तेरी कमी हैं,
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हो सके तो आके देख
मेरे इस हालत को,
|
तेरे बिन
सफ़र-ए-जिंदगी मेरा
न जाने किस मोड़ पर थमी हैं,

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30 JUN 2024 AT 15:02

मेरे कांटे के सीने में
शायद तुम्हें नींद भले ना आई हो,
अब फूल की पंखुड़ियों पर
चैन से तुम सो पाना।
अब तो जग तुम्हारा ही है...
तुम जिसके होना चाहो उसी के हो जाना।
चले जाओ दूर कहीं जहाँ
महकती फूलों की बाग हो।
तुम मेरे अधर की प्यास थी कभी,
अब मेरे तड़पती हृदय की
सुलगती आग न बन जाओ।

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23 JUN 2024 AT 15:20

सपने जब लहूलुहान हुए,
अपने भी तब अनजान हुए,
सब वक्त-वक्त की बात है 'शुभ'
गैर भी हमें अपनाने लगे जब सपने साकार हुए ।

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21 JUN 2024 AT 18:01

सिगरेट की डब्बी के बजाय लोगों के चेहरे पर लिखा होना चाहिए...!
Human attachments are injurious to health.

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19 FEB 2024 AT 19:25

तेरा खफ़ा होना भी चलता हैं,
तेरा मुझपे गुस्सा होना भी चलता हैं,
पर ये क्या बात हुई बात बंद करने की
यूं तुम को खुद से दूर देख दिल मेरा बहुत जलता हैं,

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17 FEB 2024 AT 18:59

अपनापन, प्यार, मोहब्बत
अपना सब आज तक मैंने जिसपे लुटाया।
किसी गैर का बनाया उसके दिल में महल देख,
मानो आंधी में बरसों का
मेरा बनाया घर बिखर गया।
सोचा अब से सिर्फ खुद पर प्यार लुटाऊ,
जैसे देखा दर्पण मैंने,
अपने दिल का खंडहर देख मैं डर गया।
कहता किसी से क्या,
मैं बेघर तेरे दिल का,
चलते-चलते दर-बदर
न जाने कब तेरा शहर आके गुजर गया।

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15 FEB 2024 AT 17:11

न जाने कितने गिले होंगे,
हज़ार शिकवे भी होंगे,
देख चुके तुम सारी दुनिया,
लौट आओ अब पास मेरे
मुझ सा प्यार करने वाला सायद ही मिले होंगे,

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15 FEB 2024 AT 11:04

यू आ जाता हूं यहां कुछ यादें हैं खास,
मन में अब कोई संसय नहीं, न अब किसी से आस,
जिंदगी,दुनियां सब कितनी बेरंग हैं,
जब प्रीत न हो पास,

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