ये भी सच है कि मुझे उसने कभी कुछ न कहा
ये भी सच है कि उस औरत से छुपा कुछ नही था
अब वो मेरे ही किसी दोस्त की मनकुहा है
मैं पलट जाता मगर पीछे बचा कुछ नही था
@ तहज़ीब हाफ़ी-
आधी आधी रात जगाया जाएगा
उजड़े दिल को रोज़ बसाया जाएगा
तकदीरों से पंगा लेने वाले लोगों
तुमको भी मेहमान बनाया जाएगा
...🤦♂️
अबके साल मैं चन्गुल से बाहर निकला
अगले साल मेरा दोस्त फंसाया जाएगा-
हमारा चार सौं अक्षर का मेसेज
तुम्हारे “hmm” पे हल्का पड़ गया है
@ शुभम सरकार-
तू इतना रो रही है याद करके
बता तेरा गया तो क्या गया है
तुझे लगता है सिर्फ़ तू ही है भूखी
उसने कल से पानी नही पिया है-
जाने वाला जाएगा
किन्ने सवाल करता ऐ
तू तो खाली बात करता ऐ
वो मेरे ज़ज्बात पढ़ता ऐ
ख़ुद नु किस्मत वाला
बतला कर ज़ालिम
बारी- बारी हाथ पढ़ता ऐ
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वक़्तां पे नसीबा तां
पैगाम नही करती
बातें तो करती ऐ
पर नाम लेती
सारा दी ख़बर रक्खां
ओणी भी ख़बर रक्खुं
वो मीठी चे कड़वीयां ऐ
ऐणा स्वाद भी हुण चक्खुं
....-
जर्रा - जर्रा महक रहा उस शख्स की खुशबुदारी से
मैंने जाकर और जोड़ दी अब खुशबू जिम्मेदारी से
हया से लथपथ निगाहे उसकी तर है इश्क़ बीमारी से
देकर अपना समय सुहाना वो होले मुक्त उधारी से
....
किसके लिए ये सजना धजना क्या रिश्ता अलमारी से
जाकर कहदो बाहर निकले जिस्म की चारदीवारी से।।-
रीता गाँव का बचपन
जवानी ख़ाक शहरों मे
मगर प्रतिभा नहीं मरती
चुनावी लाख पहरों मे ।।-
“ किसकी बाँहों में सोना था
किसकी बाँहों में सोए है
हमको खबरों में होना था
हम खबर पढ़ के रोए है ”-