जर्रा - जर्रा महक रहा उस शख्स की खुशबुदारी से
मैंने जाकर और जोड़ दी अब खुशबू जिम्मेदारी से
हया से लथपथ निगाहे उसकी तर है इश्क़ बीमारी से
देकर अपना समय सुहाना वो होले मुक्त उधारी से
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किसके लिए ये सजना धजना क्या रिश्ता अलमारी से
जाकर कहदो बाहर निकले जिस्म की चारदीवारी से।।
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