Yogesh Tandan   (योगेश 🖋️📝)
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Joined 11 May 2020


Joined 11 May 2020
3 JAN 2022 AT 15:48

,,, 2021की कुछ बात,,,

जाते हुए साल जैसे-तैसे गुजर गए यार
सिखाकर गया बहुत कुछ यह 2021 का साल

इस बीते वर्ष से आखरी बार फरियाद कर रहा हूं
पूरा वर्ष जो जो बिता उन यादों को एक आखरी बार याद कर रहा हूं।

लिखता तो मै रोज था जो मेरे मन को भाया है
इस वर्ष मैंने अपने जीवन में एक गजब का अहसास पाया है।

किसी के साथ से बहुत कुछ अच्छी बातें मेरे अंदर आई
कुछ गलतियां भी हुई, जिसके वजह से मैंने अपनो से दूरी बनाई।

प्यार का अहसास जो था मैंने इस साल पाया हैं
किसी के इंतजार में मैंने समय भी काफी गंवाया हैं।

उसके बार बार समझाने पर भी मैं समझ नही पाया
सारथी माना था उसने मैं स्वार्थी बन बैठा
मेरी गलती ने मुझे अपने नजरों में गिराया हैं।

तहे दिल से माफी और शुक्रियादा उस सार का
जिंदगी की बारीकियां सिखाने वाले मेरे उस यार का।।

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22 AUG 2021 AT 14:31

खुशियाँ हैं जो जीवन में मेरे कारण इसका कुछ भी हो
इन खुशियों की कर्ता तुम हो बहनें,कर्म चाहे कुछ भी हो

खट्टे मीठे यादों की जोड़ी हैं मैने कुछ पंक्तियाँ
मूस्कान है मेरी बहनें मेरा गर्व है मेरी दीदीयाँ।

रक्षाबंधन का ये पावन पर्व भाई-बहनों के अटूट रिश्तों का संगम
कलाई पर बंधती राखियाँ अनमोल है ये रिश्तों का बंधन।

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15 AUG 2021 AT 11:44

(75 साल आजादी को)
आज की सुबह का अहसास
रहता है हर वर्ष ही बहुत खास
एक अजब सा उत्साह मन में उठ आता है
जब मेरे मेरा तिरंगा हर जगह लहराता है।

इस दिन की हर बात निराली गौरवशाली है
कितने बेटों विरांगनाओं के बलिदानों की गाथाएं कहती हैं
कई वर्षों की गुलामी से आजादी हमने पा ली है।

मगर धीरे-धीरे समय के साथ सब बदलते जा रहे हैं
आजादी का ये दिन लोगों के लिए महज छुट्टी के रूप बनते जा रहे हैं।

आज के दिन की हो चुकी रुसवाई है
अंग्रेजों से हो चुके हैं आजाद 75 वर्ष बाद भी क्या सच में हमने आजादी पाई है।

नि:संदेह मेरा देश नये नये आयामों को गढ़ रहा है
दुनिया के बड़े देशों के साथ अब वो भी आगे बढ़ रहा है

आजादी के 75 वी सालगिरह पर यह विश्वास जगायें
दकियानूसी विचारों सोच से खुद को आजाद करायें।

जो स्वप्न देखा है आजादी के मतवालो ने उसको सच कर दिखाना है
सोने की चिड़िया था जो मेरा भारत उसको फिर से स्वर्ण बनाना है।।

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6 AUG 2021 AT 9:42

(मैं और मेरी बोरियत)
यूंँ तो हर रोज मैं घर में ऐसे ही पड़ा रहता हूँ
घर के लोग कुछ भी कहें अपने मन की करने पर अड़ा रहता हूँ।
मेरी वजह से सारे परेशान रहते हैं
मेरे अचानक आने से वो अंजान रहते हैं।

आलस से मेरा बड़ा गहरा नाता है
कुछ न करूँ या फालतू के काम बार बार करना मुझे बस यही आता है।

उसको दूर भगाने के लिए इधर-उधर मंडराता फिरता हूँ
कुछ करने को नहीं मिलता तो अपने आप से बात करते हुए गुनगुनाता फिरता हूँ।

बस यही मै हूँ और ये मेरी बोरियत की कहानी है
उसे अच्छा लगे या ना लगे सोचे बिना अपने बोरियत के लिए उसका इस्तेमाल करना मेरे स्वार्थ की निशानी है।

मै नकारा हूं इसका मतलब, ये दुनिया बेकाम थोड़ी हैं
मेरी बोरियत में हर बार उसे मिलाने की गलती कब तक सहेगी वो
वो भी इंसान हैं मेरे time pass का कोई सामान थोड़ी हैं।।
।। योगेश टंडन ।।

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3 AUG 2021 AT 19:21

जिन्दगी के हर किस्से में अपनी जगह बनाना चाहता था
शादी के बंधन में तो कभी न कभी बंधना है ही
मगर'शादी के पहले उस होने वाले पहले प्यार को पाना चाहता था।

सोचता था कभी न पड़ू ईस चक्कर में ये सब बेकार
शादी के बाद ही प्यार है बाकि सब आकर्षण के सार है।

आकर्षण, खिंचाव या इश्क, मोहब्बत इन शब्दों ने मेरे सिर को घुमाया
थोड़ी देर ही सहीं ऐसा ही अहसास मेरे जीवन में आया।

फिर क्या था होने लगी रोज लम्बी लम्बी बातें
चैटिंग, काॅलींग से बढ़कर धीरे-धीरे होने लगी मुलाकातें।
उसकी पकाने वाली बातें भी मुझे अच्छी लगने लगी
और मेरी झुठी बातें उसे सच्ची लगने लगी।

जाति धर्म समान थे इसलिए प्रयास लगाया
इज़हार करके दिल की बात से प्यारा अहसास जगाया।

पहली बार लड़की बैठी मेरे गाड़ी के बैक शीट पर यह अहसास कमाल था
होठों से टकरायें होठ तभी भी जब दुनिया में कोरोना काल था।

नौकरी मिली उसे मेरे शहर में ही खुश होकर मुझसे मिलने आई
नकारा, निकम्मा, फट्टू ऐसे फालतू लड़के से उसने इश्क लड़ाई।।
गलती होती मुझसे तो वह खुद को गलत बताती हैं
हवस भरी है जिसके अंदर ऐसे इंसान से प्यार जताती है।।
।। योगेश टंडन ।।

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2 AUG 2021 AT 21:10

( आज की जंगल सफारी )

सावन के मौसम में आज
मनोरम दृश्य, मनभावन अहसास।

सुबह की सैर जंगल सफारी
छोटे भाई संग आज मस्ती की सवारी।

ठंडी-ठंडी हवा चलती थी
बारिश की बूंदे पत्तों पर तर् तर् पड़ती थी

हरे भरे उपवन पर्वत के ऊपर कोहरे ने रंग जमाया
बादल के रुप में मानों आसमान पृथ्वी से मिलने आया।

सावन के काले बादल ऊपर, नीचे हरी चादर फैली थी
मनमोहक दृश्य सन्नाटा चौतरफा शांति की निकली रैली थी।

शहर बनाने के चक्कर में गांवों को मत मारों
प्रकृति को बचाना हैं तो जंगल को मत उजाड़ो।

दिन ऐसा बिता है सुहानी सुबह से ऊत्साह पूरा दिन छाया है
कृत्रिम मानव निर्मित है, पर मत भूलो प्रकृति से मानव ने जीवन पाया है।।
।।। योगेश टंडन ।।।

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20 JUN 2021 AT 21:42

भूली बिसरी बातें इस मस्तिष्क में न जाने फिर से क्यों आ जाती है
की हुई यारो संग मस्ती बचपन की अचानक फिर से मुस्कान ले आती है
कुछ ऐसी चीजें भी थी जिससे ये आँखें नम हो जाती है
जिन्दगी की सफर में जैसे-जैसे बढ़ने लगते हैं, यादें पीछा करने लग जाती हैं।।

जिसे कोसते थे बचपन में अब वहाँ जाना चाहते हैं
बड़े होकर देख लिया अब फिर से स्कूल के दिन वो बचपन का खजाना चाहते हैं।

कल की बात, परसों की बात या बात हो दशकों पुरानी
यादें ऐसी पीछा करती है और बन जाती कोई मीठी कहानी।।

अपने बच्चों के जरिए वो माँ-बाप भी अपना बचपन जी जाते हैं
सच है यारो जैसे-जैसे जिन्दगी का सफर करते रहते हैं
ये यादें पीछा करने लग जाते हैं ।।

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5 JUN 2021 AT 10:00

मैं पेड़ मैं जंगल मैं पर्यावरण बोल रहा हूँ ----------------------------------------------
मैं प्रकृति हूँ, मै आवरण हूँ
जिसके वजह से तुम हो मैं वो शरण हूँ
मुश्किलों से बचाने वाला आ फसा है मुश्किलों में
कट रहा धीरे-धीरे जंगल और पेड़ो के रूप में
रो रहा है आज जो मै वो पर्यावरण हूँ।।

उद्योगों की चाह में मैं बर्बाद हो रहा हूँ
काटते हैं जो मुझे उन्ही का बोझ ढो रहा हूँ।
श्मशान के सेज पर अब मैं सो रहा हूँ
मुश्किलों में हूँ फसा मै पेड़ रो रहा हूँ।।

गाँव-गाँव जोड़कर शहर बना लिया है
जंगलों को काटकर तुमने घर बना लिया है।

मच चूका है हाहाकार अब सम्हल जाओ तुम
हवा भी अब बिक रही, मुझको अब बचाओ तुम
आने वाली पीढ़ी को दीदार क्या चित्रों - छवियों से करवाओगे
साक्षात्कार हो मेरा उनसे इसलिए पेड़ तो लगाओ तुम।।
.... योगेश टंडन

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3 JUN 2021 AT 10:02

मन में उठने वाली बातें

बीती रात में मन मे उठने वाली उस बात ने
मेरे मन को इस कदर सताया था
रोज जल्दी सोने वाला इंसान पूरी रात जागते हुए बिताया था।

सोच-सोच के होता रहा परेशान,
क्या कर रहां हूँ मैं इससे था अंजान
बार-बार मेरे मन के जरिए मुझे टटोलना
मत कर ऐसा मुझको यह बोलना।।

फिर उसकी बात मान कर कुछ देर रुक जाना
पागलों की तरह खुद से बात करते हुए अपने आप ही बड़बड़ाना।

सच्ची बात, क्या थी वो रात खयालों में खोया था
मखमल का बिस्तर, ठंडी हवा,सन्नाटा पसरा था फिर भी नहीं सोया था।

होता है अक्सर सवालों के मझधार में फस कर रह जाते हैं
मन में उठने वाले कुछ बात ऐसे होते हैं जो पूरी रात जगाते है।
. . . योगेश टंडन. . .

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1 JUN 2021 AT 15:09

पहला कदम यह सोच कर रखा क्यूँ न कुछ अलग किया जाये
मंजिल मिल जाने की खुशियां तो सभी मनाते हैं
ऐ दिल चल इस बार रास्ते का मजा लिया जाये।
और जिसे पाना है उस मुकद्दर की आश सभी को है
पूरा न सहीं कोई बात नहीं थोड़ा सा मुझे मुकद्दर मिल जाये।।

मुश्किलों में घबराते मन को चल इक बात बताते
हार भी जाये तो क्या हुआ चल उस हार का जश्न मनाते हैं
हार-जीत तो लगी पड़ी है सबने यहां मुकद्दर आजमाये
पूरा न सहीं कोई बात नहीं थोड़ा सा मुकद्दर मिल जाये।

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