ब्रज की माटी एक मधुर राग सुनाती है,
बंसी के सुरो से शामे सज जाती है,
कण -कण में यहां पर कृष्ण बसे है,
हवा भी यहां राधे-राधे गाती है।-
हमें तो यहा सब बिमार लगते है।।💕
वो किसी की नज़र में नहीं ,मगर सबकी नज़र में है,
वो जो मेरे ख्वाब में है वो ही जमी पर है,
मेरे लिखे हर शब्द में जिक्र है उसका,
ये सब को खबर है बस वो ही बेखबर है।-
उसे देखकर बस देखने को जी चाहता है,
सर से पांव तक वो शक्श कुछ इस कदर लुभाता है,
कोई कुम्हार जैसे अपने घड़े को सहलाता है,
वेसे उसकी तस्वीर को देखना मेरे मन को बेहलाता है।-
उसके माथे की सिकन एक कहानी बता रही है,
जैसे किसी मुशाफ़िर को घर कि याद सता रही है,
अब उसकी गली से गुजरने का दौर खत्म हुआ,
मेरे गांव से अब स़ड़क होकर जा रही है।
सुना था किस्सो में, महोब्बत बरबाद कर देती है
ये कैसी महोब्बत है जो आबाद कर के जा रही है।-
जहाँ-जहाँ भी मेरी नज़र पड़ रही है,
चारो ओर उसकी तस्वीर बन रही है,
उसकी हर एक अदा पर तो शायरी होनी चाहिए,
उसकी आँखो में देखकर मेरी कलम चल रही हैं।-
कश्ती को किनारे का ना मिलना मारता है,
पत्ती को साखों से बिछड़ना मारता है,
हिज्र के वक्त मुझे खबर भी न थी
उसका अब ना मिलना मुझे मारता है।-
बिखरी जुल्फों को जब पलको से हटाती है वो,
बहोत खुब लगती है जब मुस्कुराती है वो,
वो आईना भी यारो किताना खुशनसीब होगा,
जिसे देखकर खुद को सवारती है वो।-
जीदंगी के सफर में कई लोग मिले
कुछ इस कदर मिले कि फिर कभी नहीं मिले,
तुम जिससे मिलने की तमन्ना हर रोज़ करते हो
तुम उससे भी न मिले तो फिर क्या मिले।-
शहर में मुशाफिरों का आना बढ़ रहा है,
यहाँ मौसम का मिजाज भी कुछ बदल रहा है,
वो कब से तरी राह ताके झरोके पर बैठा है,
और एक तु हैं जो हर बात पर बहाना कर रहा है।-
उसका ख्याल भर ही मेरे चेहरे पर मुस्कान ले आता है,
जैसे बारिश कि एक बुन्द से कोई फुल खिल जाता है,
युँ जिस कदर नज़रअंदाज करती है वो मुझें,
उसकी इस अदा पर भी मुझें प्यार आता है।
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