yogesh sahu   (CaptainBaba)
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जिन्दगी मे बस इतना सा ही काम किया है,
कि दोस्तो के जुबां मे हमेशा अपना नाम किया है..
Joined 29 September 2018


जिन्दगी मे बस इतना सा ही काम किया है,
कि दोस्तो के जुबां मे हमेशा अपना नाम किया है..
Joined 29 September 2018
28 MAR AT 17:35

उड़ा देता हूं हंसकर, यूं ही
दुनिया भर की परेशानियां
गर बताने लग जाऊं
तो सदियां बीत जाएगी..

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26 FEB AT 10:17

रविवार का दिन
जब हम मिलते हैं
मिलकर खिलते हैं
इस बेरंग दुनिया में
सप्ताह भर के भाग-दौड़
और कामों को भुलाकर

रविवार का दिन
जब सब अपनी-अपनी ओर से
सबको हंसाने का
अपना ढंग लेकर आते हैं
नए-पुराने किस्सों के
बहुत से रंग लेकर आते हैं

रविवार का दिन
जो मैं! चाहता हूं
आता रहे
दोस्तों के खिले-चेहरे
चेहरे पर उस दिन
दिखाई देती सचमुच की हंसी
आपस में हम सबका
बढ़ रहा प्यार
ऐसे ही बना रहे

रविवार का दिन
चला रहे
बनता रहे
खिलता रहे..

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4 NOV 2023 AT 23:19

मैं! यूं ही सदिया बीताता रहा
मैं! यूं ही प्यार पता रहा
जो शायद!
प्यार कभी था ही नहीं
मैं! उसे ही
प्यार समझ कर जीते जाता रहा..

बहुत कोशिश की मैंने
तुझमे प्यार जागने की
और क्या प्रयास नहीं किया
तुम्हारा प्यार पाने की
पर मैं शायद! बहरे के सामने
अपने प्यार का गीत गाता रहा
जो शायद! प्यार कभी था ही नहीं
मैं उसे ही प्यार समझ कर
जीते जाता रहा..

खैर! इस बात का सुकून रहेगा मुझे
सौ जतन सौ प्रयास किया रोकने तुझे
मैं! पत्थर के सामने
शीष झुकाता रहा
मैंने निर्दय को
भगवान बनाता रहा
जो शायद! कभी प्यार था ही नहीं
मैं उसे ही प्यार समझ कर
जीते जाता रहा..

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3 NOV 2023 AT 21:46

मुझसे!
दूर होने की वजह नहीं पूछूंगा
वैसे भी
आजकल लोग
सामान और इंसान
समय अनुसार बदलते रहते हैं..
शायद!
कुछ अच्छा मिल गया होगा

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6 OCT 2023 AT 1:24

ए मज़िल!
मेरे सब्र का इम्तिहान ले रही है तू
वरना कितने आए, और गए
मेरे सुकून डगमगाने को..

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25 JUL 2023 AT 12:42

तेरी वजह से
मन तो करता है तुझे ना देखूं
पर! तुझे देखे बिना कुछ मन नहीं करता..

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19 JUL 2023 AT 14:16

किस कदर टूट रहा है
शरीर मेरा
डर लगता है
कहीं
हिस्सों में बिखर ना जाए..

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11 JUL 2023 AT 20:44

लिख लेता हूं
कभी-कभी
जब अकेला होता हूं
या शायद!
जब मैं चारों ओर से
घिरे लोगों के बीच
अकेले होता हूं

ठीक है! अकेलापन भी
अच्छा है कभी-कभी
इसमें हम जागना जानते हैं
क्योंकि,अकेलापन सोने नहीं देता
अकेलापन,
दरअसल किसी की कमी नहीं
अपितु, अपने आप को
पूरा करने का समय होता है

लगता है!
लगता है कभी-कभी
एक लंबी अकेली यात्रा पर निकल चलूँ
कुछ देर बाद याद आता है
इस यात्रा पर
तो मैं बहुत लंबे वक्त से था
और अभी भी हूं

इसलिए निकल चलो
कभी तुम्हें लगे कि
तुम्हें अकेले रहने की जरूरत है
निकल चलो.. निकल चलो..

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11 JUL 2023 AT 6:24

मैंने अपनी मंज़िल!
तो कुछ और चुनी थी
पर शायद!
जिंदगी को यह रास नहीं आया
जिस दिशा में मेहनत की मैंने
उस दिशा से हमेशा मुझे दूर हटाया

ऐसा नहीं कि
मैनें अपनी पूरी जान नहीं लगाई
कोशिश बहुत की थी मैंने
पर फिर वही साल भर का इंतजार
और आज यहां हूं
जहां मुझे हर दिन
उतना ही दर्द सहना पड़ रहा है
जितना कि
मुझे साल भर में होता था

खैर! ठीक है जिंदगी का
यह सितम भी झेल लेंगे हम
यह जो शोहरत की ओर
दर्द का खेल है
खेल लेंगे हम

पर मैंने
अपनी मंजिल के लिए
किसी की न सुनी थी
क्योंकि मैंने
अपनी मंजिल तो
कुछ और ही चुनी थी

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7 JUL 2023 AT 20:54

निगाहें मिलती है
हमारी बार-बार
पर वो मुझसे
कुछ ना कहती है
उसे तो कुछ पता ही नहीं
वो बस अपने में खोई रहती है

कैसे बताऊं मैं उसको कि
इन सबके बीच मैं
उसे ही ढूंढता हूं
जैसे ही मेरी आंखें
उसे ढूंढ लेती है
बार-बार हां! बार-बार
ऐसे ही देखते रहता हूं

जब वह देखती है
तो आंखें चुराता हूं
कभी-कभी हमारी
आंखें भी मिल जाती है

पर फिर सोचने लग जाता हूं
कहीं से कुछ बुरा न लग जाए
कहीं मुझमे कुछ गलत
ना मिल जाए
मुलाकातें होगी हमारी बार-बार
पर क्या आएगी
मुझसे बात करूंगी वो...

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