YOGESH MAHAR   (Yogesh mahar 'गुलशन'©)
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7 NOV 2022 AT 0:25

आज बैठा हूँ कड़ी धूप में,,
कुछ मुट्ठी भर यादो के बीज लेके,
इस मिट्टी में यादो को पिरो दूंगा,
कुछ यादें जो याद है, धुंदली ,
फिर से लहरा उठेंगी।।

कुछ खराब बीज ,
जो फिर मुझे दुख पहुचायेंगे
और कुछ जो आएंगे भर भर के,
हर भरे से नवजात फसल,
उनको और बड़ा कर,
यादो को सजो दूंगा ।।

फिर जब फसल हो जाएगी ,
घर घर फिर उन्ही दोस्तो को,
उनके नास्ते में परोस दूंगा,
फिर वो भी स्वाद लेंगे और
बोयेंगे ,फिर नए यादो के बीज।।

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18 AUG 2022 AT 22:47


मेरे आंखों में अश्क़ है तुमने ढूढे क्या
मेरे कुछ सवाल है तुमने सवाल बुझे क्या
लाखो दफा भेदा है भालो ने कलेजा
अब बार बार ये छलनी दिल तुमसे रूठे क्या।।

ढीली डोर मेरे माझे की,
कटी पतंग से तू लुटे क्या।
सांप के पियाले को चख पिया है,
अब तुम्हारा जूठा जूठा क्या।।

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29 JUN 2022 AT 20:09

अंख भर दे रोया करांगे,
अब अपनी बाह नाल सोया करेंगे।
बुलिया तेरे मिलने दी आस कोइ ना,
जरा जरा रोज तेनु हम खोया करेंगे।

जो तू आवेगी फिर मुड़के,,
ते फिर अख भर दे नाल रोया करेंगे ।
तू बुल जावेगी दिन दो चार दिन,
अस्सी आखिरी सांस नाल याद करेंगे।।

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17 APR 2022 AT 15:22

बर्बादियों का शहर मेरा,,
मेरे औचियत की तलाश में।
गिर ती सीढ़ीयो सा मन मेरा,,
काल द्वार के प्रवेश में।

अंधड़ पूर्ण खब्त कल्पना मेरी,,
विकट समंदर के आवेश में।
मैं ,मेरा मन,मेरी हार,विवेक,,,,,
मेरे गन्तव्य के आगोश में।।



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3 FEB 2022 AT 14:37

  From zero to infinity,
From every moment until the heart beats,
From my sweet moments to your thorny journey,
From the runaway life, to the slipping sticks of old age,
From your sweet laughter to all your tantrums,
From sweet voice to your sweet anger
from our funny jokes to crazy fights
i am always with you even after i die
i am always with you ,
its my promise i am alwys with you,,

i promised in every condition and evry situation of life i am always with you,
alwys near of your heart. always you will near of my heart
i am always with you

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27 JAN 2022 AT 15:40

तुम मेरी कविता का रस हो प्रिये
तुम मेरे गीत की धुन हो प्रिये
तुम हवाओ का रुख तुम स्वास हो प्रिये

तुम ही प्रेम
तुम ही घृणा
तुम ही पहेली
तुम ही जवाब

तुम नृत्य का पग पग हो
तुम मा सीता का प्रतीक
तुम मीरा से त्याग हो
तुम ही सावत्री का वरदान

तुम कविता का हास्य हो मेरा
तुम प्रिये रहस्य हो मेरा
तुम एक मात्र स्मृति हो
तुम प्रिये सृंगार मेरा
तुम संस्कार हो मेरा
तुम परिधान हो मेरा
तुम अंग अंग मेरा
तुम ही तो हो रूह मेरी
तुम ही तो नई धुन ही मेरी
तुम ही चित्र कला हो
तुम एक मात्र सौंदर्य हो
तुम ही हो समय मेरा
तुम ही हो जख्म मेरा
तुम ही तो हो मरहम मेरा
तुम ही एक मात्र सिकवा हो
तुम ही तो हो मेरा पावन मिलन

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22 JAN 2022 AT 22:54

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10 NOV 2021 AT 22:50

अल्फाज़ो में सन्नाटा सा है कुछ कहा नही जाता,,,
धूप ही धूप है हर नज़र बस अब सहा नही जाता।
पाया है केवल हार सबसे नज़र नही मिलाया जाता,,,
सूल ही सूल है पूरे बदन में ,ये किल अब निकाला नही जाता।।

महीन सी चोटो पर मरहम लगाया नही जाता,
बहाव इस बहाव मे खुद को बचाया नहीं जाता।
घुटन सी है कुछ अब आंगन में कस्बे में,
ऐ *गुल* टूटे अक्षरो को जोड़ा नही जाता।।


हुजूम में चल रही है दवाई अपने मर्ज की,,,
बात ये है कि हर दफा शक्कर डाल ज़हर पिया नही जाता।
यू चल लेंगे बैसाखी पकड़ छलनी पैरो से,,,
जुल्म ये है कि खुद से खुद का जनाज़ा उठाया नही जाता।।

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1 OCT 2021 AT 20:24

अल्फाज़ो में सन्नाटा सा है कुछ कहा नही जाता,,,


धूप ही धूप है हर नज़र बस अब सहा नही जाता।।

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28 AUG 2021 AT 20:26

अभी सवेरा हुआ तो नही,,
सूरज निकलना बाकी जो है।
यू पग डंडियों पर चलते रहना,,
एक बार फिशलना बाकी जो है।।


लिख लेना पूरा ये नज़्म,,,
पर इस नज़्म तेरा होना बाकी जो है
जो ये रोग हुआ सो हुआ,,,
तेरे अस्पताल में आना बाकी जो है।।

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