कि ख्वाब भी अब, हमें कोसने लगे हैं बसा ले दिल में किसी को ये कहने लगे हैं जवाब दूं क्या ? हम तो बस मौन है,,, सपने हरदिन पूछते, हम सवालों को टालने लगे हैं।
हूं मैं तन्हा..... पर चेहरे पे मुस्कराहट है किसी के लिए बेइंतहा हमें भी चाहत है दिल, ख्वाबों और कल्पनाओं में तुम्हारे कब्जे खालीपन सा लगता, तुम्हारे न आने का जो आहट है। मिले कभी, तो दिल अपनी भी उन्हे सौंप दूं,,, चूंकि मेरा दिल भी उनके लिए ही बगावत पे है।
अर्ज है कि अनगिनत मित्रों में, मैं स्वयं गुम सा हो गया हूं, दिखावे के प्रेम औ टूटे रिश्तों से घिर गया हूं। भव्य मेले में सब अपने हैं ...... मुसीबत में खड़ा कौन? न देखता किसी को हूं।
अर्ज है कि जिंदगी कैसे जिया जाए ये लोग बताते हैं, दर्द भरा दिल में, ये उड़ाते मज़ाक बहुत है, खड़ी हजारों की भीड़, ये अपना होना जताते है, आएगी मुसीबत जब ये लोग नज़र नही आते है ।
अंदाजा न था हम फिर मिलेंगे, पुराने ही मोढ़ पर फिर दिखेंगे, कहना हम भी कुछ चाहते थे, बोलना तुम भी कुछ चाहती थी, दूरियां इतनी हो चुकी है ...,. न मैंने कुछ कहा, न तुम कुछ बोली, क्यों जुदा हुए थे ? यह राज न खुली, नज़रें मिली किंतु बात न हुई, रुका, थोड़े देर तुम रुकी और आगे तुम बढ़ गई।