बरसती बारिश में शाम से पूछो,
सूरज से फिर मिलने की प्यास|
और
उसी बारिश में चाँदनी रात से पूछो,
चाँद से मिलने की आस।-
# 2nd Jan 1990
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ख़्वाबों की हक़ीक़त पूछनी हो तो रातों से पूछो,
सुबह से पूछोगे तो हर मंज़र धुंधला बताएगी।
दिल टूटने का दर्द पूछो तो रांझे से पूछो,
महफ़िल से पूछोगे तो अपना रोना रोयेगी।-
आशा का रंग पूछना हो तो बच्चे की आँखों से पूछो,
बुज़ुर्ग से पूछोगे तो बीते कल की कहानी सुनाएगा।
वक़्त की रफ़्तार पूछनी हो तो मुसाफ़िर से पूछो,
घड़ी से पूछोगे तो बस टिक-टिक बताएगी।-
मौसम,
इतना न बन तू सुहाना,
सबके पास नहीं होता उनका ठिकाना।
तेरी ये रंगत दिल को यूँ ना लुभाए,
कि हर प्यार करने वाला अपने साथी से मिलने को तरस जाए।-
प्रेरणा
येवोत लाख वादळे, मी छाती रोखून जाईन,
पडलो जरी चिखलात, पाय रोवून पुढे जाईन.
नव्याने उभारी घेण्यास, प्रेरणा शिवनेरी देईल खास,
जिजाऊंच्या त्यागातून, चिखलातही फुलवीन मी आशेचा निश्वास.-
आस
तेरी यादों के धुऍं में ऐसे खो जाऊँ
मिटाकर खुद के निशान तुझ में बस जाऊँ
फिर उस भरी महफ़िल नाम लें तेरा कोई
मैं पलट जाऊँ, और तुझको वहा पाऊँ।-
अनकही इकरार..
वो मुझसे इतनी दूर है, फिर भी लगती अपनी,
जैसे जागी हो किस्मत, और बन गई हो कहानी।
चेहरे पर उसके दिखता है साफ साफ इनकार,
मगर निगाहों में झाँकूं तो दिखता है इकरार।-
तेरी एक झलक पे ये धड़कन यूँ मचलने लगती है,
जैसे बरसों से प्यासी कोई नदी सागर से मिलने लगती है।
तेरे कानों के वो झूलते झुमके, और पैरों की पायल की रुनझुन,
बिन छुए ही मुझको छू ले, जैसे पहली बारिश में भीगी मिट्टी की भीनी-भीनी सुगंध।-
कौन जाने
हर हँसी के पीछे छुपी एक कहानी है,
कुछ दिल की तो कुछ बेबसी की।
जिस्म तो सह लेता है हर एक दर्द,
रूह पर क्या गुज़रती है, ये कौन जाने ?-