मैं तेरा हो चुका हूँ तुझे यकीन ही नहीं,
शायद तू ने मुझे अपना समझा ही नहीं।
तुम्हें आवाज देकर मेरी आवाज बैठ गयी
दूर जाते हुए तुमने मुझे सुना ही नहीं।-
वो जानता सब है मगर कहता कुछ भी नहीं,
सबको अपनी खामोशी से खामोश कर रख्खा है.-
इश्क़ में इतनी बेरुखी भी अच्छी नहीं साहब
आशिक़ों को और भी काम हैं मनाने के सिवा— % &-
लिपट जाता हूँ उसके दामन से
वो माँ है मेरे आँसू थाम लेती है ।— % &-
बस मैं ही नहीं परेशान तुम से रूठ कर
तुम भी तो उदास होगी मुझसे रूठकर
बहुत कुछ ज़ाहिर कभी तो नहीं कहा
मगर अब कुछ कमी है तुम से रूठ कर— % &-
हमें ये गम़ है कि कोई गम़ नहीं है,
तुम परेशां हो कि थोड़ा कम नहीं है-
माना कि तेरे कुछ गुनाहगार हैं हम,
ऐ जिन्दगी, तेरे किरायेदार हैं हम,
ऐ वक्त मेरे हक में मेरी मोहब्बत दे दे
कि जवानी में, इसके हकदार हैं हम-
बहुत उत्सुक हो!
शायद ये नया इश्क है तुम्हारा,
तुम भी खामोश बैठोगे
जो रास्ते जान जाओगे।-
एक बात कहूं सुनोगी क्या?
मिलाकर कदम साथ चलोगी क्या?
सुनो! अभी कोई घर नहीं है मेरा,
कुछ दिन मेरे दिल में रहोगी क्या?-
कसम तुम्हारी तरजीह - ए - बयानी का,
हम वो नहीं है जो तुम समझते हो-