सुनो चले जाने से पहले तुम कुछ देर ठहर कर जाना ख्वाबों की हर दस्तक में तुम अपनी आहट भर कर जाना। लब पर चाहे लाख हंसी हो पर दिल में एक सूनापन है। तुझसे जुदा विदा होने से सूना मन का अमृतवन है। यह मधुमास बना पतछड है तुम तो जरा संवर कर जाना सुनो चले जाने से पहले थोड़ी देर ठहर कर जाना।
झूठ और सच का फर्क समझना प्यार में अक्सर मुश्किल होता। झूठा प्यार पता भी हो तो खोने का शायद डर होता। संग के साथी को हम केवल उम्मीदों पर रख चलते हैं। शायद वो सच्चा ही होगा यही सोच खुद को छलते हैं।
बस उदासी दर्द उलझन अश्क तनहा जिंदगी। इश्क की राहों का हासिल सिर्फ होता है यही। एक तनहा दिल हमारा और दुश्मन ये जहाँ। रात दिन शामो सुबह बेचैनियां बेचारगी।
ले गया वो ख्वाब मेरे और तनहा कर गया दर्द की रातों में मुझको और रुसवा कर गया। ले गया मेरा तबस्सुम छीन होठों की हंसी जागती आंखों में मेरे ख्वाब कड़वा भर गया।
कुछ भी नही यहां दुनिया में किसका कौन यहां कोई है। तन्हाई है केवल सच्ची खुशियां गुमसुम बस खोई है। रिश्ते नाते बंधु सखा सब कुछ ही पल के साथी ठहरे। चंद कदम चाहे वो संग हों अंतिम सत्य सभी हैं बिखरे इस सच को गर जान सको तो खुद को तन्हा मान सको तो जीना फिर मुश्किल ना होगा। और सभी भ्रम हैं समझोगे फिर ये मन गाफिल न होगा।
मित्र रिश्ते बंधु बांधव छोड़ जायेंगे अकेले। एक दिन संतान अपनी छोड़ जाएगी झमेले। थाम एक दूजे को हम बस साथ में चलते रहेंगे जिंदगी के इस समर में सिर्फ हम दोनो बचेंगे।
आज तक तरजीह जिनको दी कभी न काम आए। छोड़ कर तुमको जिन्हे थामा वो गम की शाम लाए। हर कोई खुद में मगन है कौन सबकी फिक्र रखे वक्त पर बेवक्त पर अब कौन अपनी जिक्र रखे। भूल जायेंगें सभी एक दिन हमीं तन्हा रहेंगे जिंदगी के इस समर में सिर्फ हम दोनों बचेंगें।
जब तलक सामर्थ्य दौलत थी सभी थे पास मेरे तंग हालातों में ये सब काम कब आए हैं मेरे सिर्फ तुम ही तो खड़ी थी संग में ढाढस बंधाते। धैर्य ममता प्रेम दृढ़ता सब तुम्ही से आज पाते। उम्र के अवसान पर जब लोग आगे बढ़ चुके हैं। हम तुम्हारे साथ जीवन के नए फंदे बुनेगें। जिंदगी के इस समर में सिर्फ हम दोनो बचेंगे।
आजकल खुश नहीं रहता मन एक बेचैनी एक अनमनापन जैसे छीलता रहता है मेरे अस्तित्व को लगता है कभी कभी औचित्य हीन हो गया हूं पुरुषार्थ से हीन हो गया हूं किंतु मैं जानता हूं ये अनमनापन क्षणिक है तुम्हारी राह देखते देखते जैसे फैल गया हो मन में अब तुम्हारे आने की आहट है मन उल्लसित होगा नए शब्द फूटेंगें तुम्हारी पायल की खनक से निस्रित होगी शृंगार से परिपूर्ण एक कविता जिसके शब्द और भाव तुम्ही होगे और मैं केवल रहूंगा लेखनी बन सबके सामने । योगेंद्र पाठक