yogendra pathak   (Yogendra Pathak)
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खामोशियों में मन की आवाज हूं मैं
Joined 23 December 2022


खामोशियों में मन की आवाज हूं मैं
Joined 23 December 2022
5 HOURS AGO

सुनो चले जाने से पहले
तुम कुछ देर ठहर कर जाना
ख्वाबों की हर दस्तक में तुम
अपनी आहट भर कर जाना।
लब पर चाहे लाख हंसी हो
पर दिल में एक सूनापन है।
तुझसे जुदा विदा होने से
सूना मन का अमृतवन है।
यह मधुमास बना पतछड है
तुम तो जरा संवर कर जाना
सुनो चले जाने से पहले
थोड़ी देर ठहर कर जाना।

योगेंद्र पाठक
लखनऊ

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5 HOURS AGO

झूठ और सच का फर्क समझना
प्यार में अक्सर मुश्किल होता।
झूठा प्यार पता भी हो तो
खोने का शायद डर होता।
संग के साथी को हम केवल
उम्मीदों पर रख चलते हैं।
शायद वो सच्चा ही होगा
यही सोच खुद को छलते हैं।

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5 HOURS AGO

बस उदासी दर्द उलझन अश्क तनहा जिंदगी।
इश्क की राहों का हासिल सिर्फ होता है यही।
एक तनहा दिल हमारा और दुश्मन ये जहाँ।
रात दिन शामो सुबह बेचैनियां बेचारगी।

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5 HOURS AGO

ले गया वो ख्वाब मेरे और तनहा कर गया
दर्द की रातों में मुझको और रुसवा कर गया।
ले गया मेरा तबस्सुम छीन होठों की हंसी
जागती आंखों में मेरे ख्वाब कड़वा भर गया।

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5 HOURS AGO

कुछ भी नही यहां दुनिया में
किसका कौन यहां कोई है।
तन्हाई है केवल सच्ची
खुशियां गुमसुम बस खोई है।
रिश्ते नाते बंधु सखा सब
कुछ ही पल के साथी ठहरे।
चंद कदम चाहे वो संग हों
अंतिम सत्य सभी हैं बिखरे
इस सच को गर जान सको तो
खुद को तन्हा मान सको तो
जीना फिर मुश्किल ना होगा।
और सभी भ्रम हैं समझोगे
फिर ये मन गाफिल न होगा।

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6 HOURS AGO

तसव्वुर में छिपी है बेबसी क्या।
कहीं पर खो गयी है जिंदगी क्या।

उदासी फ़िक्र में डूबी हैं आँखें
उन्हें चुभने लगी मेरी कमी क्या ।

समंदर में उतर कर खो गयी है।
नदी खुद में रखी है तिश्नगी क्या।

चले आओ कि दिल ये कह रहा है।
जिंदगी बिन तेरे है जिंदगी क्या।

जलाना तुम दिए पर ध्यान रखना।
दियों के ठीक नीचे तीरगी क्या ।

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6 HOURS AGO

जिंदगी का फैसला है आइए संग संग चलें।
खुशबुएं हर ओर बिखरें फूल दामन में खिलें
ख्वाहिशों का है तकाजा एक दूजे के लिए
ढेर सी उम्मीद को आओ संजोए फिर मिलें।

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14 HOURS AGO

मित्र रिश्ते बंधु बांधव छोड़ जायेंगे अकेले।
एक दिन संतान अपनी छोड़ जाएगी झमेले।
थाम एक दूजे को हम बस साथ में चलते रहेंगे
जिंदगी के इस समर में सिर्फ हम दोनो बचेंगे।

आज तक तरजीह जिनको दी कभी न काम आए।
छोड़ कर तुमको जिन्हे थामा वो गम की शाम लाए।
हर कोई खुद में मगन है कौन सबकी फिक्र रखे
वक्त पर बेवक्त पर अब कौन अपनी जिक्र रखे।
भूल जायेंगें सभी एक दिन हमीं तन्हा रहेंगे
जिंदगी के इस समर में सिर्फ हम दोनों बचेंगें।

जब तलक सामर्थ्य दौलत थी सभी थे पास मेरे
तंग हालातों में ये सब काम कब आए हैं मेरे
सिर्फ तुम ही तो खड़ी थी संग में ढाढस बंधाते।
धैर्य ममता प्रेम दृढ़ता सब तुम्ही से आज पाते।
उम्र के अवसान पर जब लोग आगे बढ़ चुके हैं।
हम तुम्हारे साथ जीवन के नए फंदे बुनेगें।
जिंदगी के इस समर में सिर्फ हम दोनो बचेंगे।

योगेंद्र पाठक
लखनऊ

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15 MAY AT 21:28

कोई तो आए मेरी राह बता दे मुझको।
चिराग ए इश्क हूं जलने की सजा दे मुझको।

मैं एक खयाल हूं जो हद में नही हूं तेरे।
तुम्हारे पास रहूं कैसे बता दे मुझको।

जरा तू प्यार से मेरी लटों को छू तो ले
कई जन्मों का जगा हूं तो सुला दे मुझको।

बहुत कम फर्क है चाहत में और तिजारत में
अगर एतबार नही फिर तो भुला दे मुझको।

बहुत बेनूर हूं भटका हूं यहां सदियों से
अपने ही दिल में कहीं यार सजा दे मुझको।
योगेंद्र पाठक
लखनऊ

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15 MAY AT 21:12

आजकल खुश नहीं रहता मन
एक बेचैनी एक अनमनापन
जैसे छीलता रहता है मेरे अस्तित्व को
लगता है कभी कभी
औचित्य हीन हो गया हूं
पुरुषार्थ से हीन हो गया हूं
किंतु मैं जानता हूं
ये अनमनापन क्षणिक है
तुम्हारी राह देखते देखते
जैसे फैल गया हो मन में
अब तुम्हारे आने की आहट है
मन उल्लसित होगा नए शब्द फूटेंगें
तुम्हारी पायल की खनक
से निस्रित होगी शृंगार से परिपूर्ण
एक कविता जिसके शब्द और भाव
तुम्ही होगे और मैं केवल रहूंगा
लेखनी बन सबके सामने ।
योगेंद्र पाठक

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