क्या ही असर होगा मुझपर दवाओं का
घायल हुआ हूं जो तेरी निगाहों का
करवटें बदल बदल कर मेरी रात कटती हैं
मेरी नींद को इंतजार रहता है तेरी बाहों का
YOGENDRA MALAV
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ये निशान कैसे है ये कैसी खरोंचे है
लगता है इन हाथों ने उसकी आंखों से आंसू पोंछे हैं
Yogendra Malav-
कितनी रातें तुमने संघर्ष में गुज़ारी होगी
बेशक तुम्हें सोना चाहिए था
Yogendra malav-
आकाश में बादल थे बस एक तारा नज़र आया
सब को धुंधला दिखाई दिया मुझे सारा नज़र आया
मैं तेरे पास आने को भटकता रहा रातभर
लोगों को बस मैं एक आवारा नज़र आया
मैं हमेशा मायूस हो जाता था तेरे मायूस होने पर
मैं खुश हूं आज कि तू किसी के साथ हंसता नज़र आया
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पैर पर पैर रखकर सोचता रहा रातभर
कांधे पर सर रखकर कैसे सो जाते थे वो
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देखा सुना थोड़ा जाना पहचाना लग रहा है
नया कुछ नहीं लग रहा सब पुराना लग रहा है
हालात अब बद से बदतर हो रहे है
यहां लाशों का ढेर रोज़ाना लग रहा है
अब हुक्मरानों के सर से पसीना टपकने लगा है
सिर्फ दो लोगों को सब बचकाना लग रहा है
शायद हम सफ़ा मौसम के लायक ही नहीं है
वगरना क्या है कि इक ज़माना लग रहा है
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तेरी गली से गुज़रता था तो सब धुंधला नज़र पड़ता था
तुझे देखे दिन हो जाते थे मुझ पर इसका असर पड़ता था
उसे नींद नहीं आती तो मेरे घर अा जाया करती थी
उसके घर के पास ही मेरा घर पड़ता था
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बड़ी जिम्मेदारियों के साथ सोया था
उसने बस आवाज़ दी थी मैं भौचक्का हो उठा..!!
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कल ही किसी महकमे में लगे है
और आज ही से महकने लगे है
YOgendra Malav-
मेरे हुए लोगों की छोड़िए साहब
ये ज़िन्दा लोगो को कैसे ज़िन्दा किया जाए
yogendra malav-