इक दरख़्त फल देने से पहले काट दिया गया,
इक कश्ती किनारे आते-आते डुबा दी गई,
अगरचे मैं रुकता तो क्या ग़ज़ब होता
इक मुलाकात जो होते-होते रह गई..!-
YaviShu Singh
(Yavishu)
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मुसाफिर हूं यारों अनजान सफ़र का....!
चाय का नशेड़ी
चाय का नशेड़ी
Joined 21 April 2018
30 JAN 2022 AT 3:41
30 JAN 2022 AT 3:04
बेशक क़ुबूल कर लेना रकीब को, मगर
मेरे इश्क़ की इतनी लाज रख लेना,
रास्ते में कभी कहीं मिल जाएं हम तो
आहिस्ता से उंगलियों को छुड़ा लेना...
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1 DEC 2020 AT 19:00
ये तब्दीलियां भी एक नज़र की अदा है महज़,
इक गुलाब भी चुभ जाए तो हैरत कैसी..!-
12 OCT 2020 AT 22:15
वैसे तो महज़ गज दो गज की ही दूरी थी,
उससे फासले मगर जमाने भर के थे..!-
12 OCT 2020 AT 5:50
तेरी मुलाक़ात का इंतज़ार इस क़दर रहा मुझे,
हम सोते रहे रात भर सहर तक नींद नहीं हमें आई..!-
8 OCT 2020 AT 20:37
उसके हक़ में दुआएं मांगता फिरता हूं मैं दर-बदर,
इक वो है मेरी ख़ातिर भी मुझसे मिलने नहीं आता...!-
6 OCT 2020 AT 8:08
ये शहर और इसमें मेरी कहानियां
सब छूट जायेगी यहीं मेरी सारी निशानियां..!-
5 OCT 2020 AT 13:46
हर रोज़ इक शाम आती है तिऱे यादों की,
इक याद आती है जिसकी शाम नहीं आती..!-
5 OCT 2020 AT 13:42
इस शहर की सहर में न जाने कैसा सेहर है,
वो निकले तो फ़ूल बरसे हम निकले तो फैले जहर है..!-