Yatharth Singh Chauhan  
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Joined 8 July 2017


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Joined 8 July 2017
3 APR AT 16:16

शराब, शबाब और किताब एक वक्त के बाद ही अच्छे लगते हैं।

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30 MAR AT 12:43

चाक करके दिल ये मेरा निकाल ले अपनी यादों को,
पर खबरदार नज़रअंदाज़ न करना अपने झूठे वादों को।

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14 MAR AT 15:32

उत्सव वसंत का परिवर्तन प्रयाग करे,
पुष्पधूलि प्राप्य वह पक्षी बिहाग करे,
देह लेप स्नेह कांति कुंदन विस्तार करे,
कल्याणी नूतन तन धारण श्रृंगार करे,
रक्तवर्ण चूर्ण से व रंजित रस-रास से,
मुखमंडल मंडित है प्रियवर सहवास से,
जलधारा वृष्टि प्रांगण मे आकाश से,
रमणी इठलाई नवजीवन आभास से,
भासित कर हर निसर्ग लिप्सा साकार करे,
सद्गुण संसर्ग संग फाल्गुन त्योहार करे।

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1 JAN AT 12:30

क्या है नया और क्या है पुराना,
कल भी था अब भी वही है ज़माना,
बदलेगा वक्त होगी शुरुआत नई मगर,
ज़ाया मशक्कत न जो बदले फसाना।

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29 NOV 2024 AT 10:45

You can't prepare for Everything
But you have to be prepared for Anything

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6 NOV 2024 AT 17:56

मृत्यु अभिशाप है, लेकिन उनके लिए जो जीवित रह गए हैं।

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5 NOV 2024 AT 17:45

खुद क्यों अपनी कब्र खोद रहा है ग़ालिब,
ला फावड़ा दे मैं खोदता हूँ।

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4 NOV 2024 AT 18:48

ना तसव्वुर कर तू मेरी सोहबत का
यह अंदाज़ तुझे मुआफ़िक ना होंगे।

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3 NOV 2024 AT 16:04

"Why did you shoot them?" The Chief interrogated.
"It was too dark and they were between me and the door," the commando admitted.
"You f**ing liar! You had night goggles. You could see before slaughtering your own men!"
"I was not in for seeing what's ahead, after seeing what was behind me."

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1 NOV 2024 AT 18:39

हरियाणे का खारा भी मीठ्ठा,
हरियाणे का फीका भी पेठ्ठा,
हरियाणे की बात छोड़ द्यो,
हरियाणे मैं हरिहर बैठ्या,
दूध-दही के खाणे की,
कुश्ती की बात सुणी होगी,
हरियाली से भर्या पड़्या है
या भी साथ सुणी होगी,
दिल मैं बीस्यों बात ले रया हूँ
सोचूँ थमनै कह द्यूँगा
पर बोलण का के फैयदा
थमनै वा भी बात सुणी होगी।
अच्छा, फेर राम राम!

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