नवनिर्मित जब तेरा शासन होगा,
ना कोई जब दुशासन होगा,
गरिमा तेरे अस्तित्व की बढेगी,
सरोकार ये सपना हर आंचल का होगा।
आवारा घूमती है बेरोजगारों की टोली,
ना जाने कब सजेगी तेरी ये डोली,
निर्भय होकर जब तेरा कदम बढेगा,
सरोकार ये सपना हर आंचल का होगा।
हिम्मत जब तेरी गाज़ बनकर टूटेगी,
हरामखोरों की किस्मत फूटेगी।
दफ़न करने कफ़न तक नहीं मिलेगा,
सरोकार ये सपना हर आंचल का होगा।
प्रतिभा तेरी हर शिखर को चूमेगी,
तेरी मेहनत की खुशबू चारों ओर महकेगी।
खुशियों से हर दामन भरेगा,
सरोकार ये सपना हर आंचल का होगा।
द्वार सफलता का खुलेगा, पर सेना तेरी स्वयं की होगी।
आंखें छलकेंगी तेरी, जब रोज़ी रोटी के लिए नही,
पदक हर रोती हुई आंख के लिए जीतेगी,
और इसी अहसास से तू पूरी दुनिया को जीतेगी।
नवनिर्मित जब तेरा शासन होगा...........
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