Yatharth Nath   (Yatharth Nath)
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Joined 7 May 2020


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Joined 7 May 2020
30 AUG 2021 AT 23:21

कृष्ण केशव, कृष्ण केशव, कृष्ण केशव पाहियाम।
राम राघव, राम राघव,
राम राघव रक्षयाम।।

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28 JUL 2021 AT 15:27

-:Ye Pathik Nahi Un Raho Ka:-
मेरा पथ भटकाने वाले ये पथिक नहीं उन राहों का
जो डरकर यूं रुक जायेगा ये बारूद बनकर चलेगा
युद्ध में डटकर जब लड़ेगा गिरेगा शत्रु जब ये भिड़ेगा
जिसके धनुष की टंकार से तेरा वर्चस्व हिल उठेगा

तेरे हर वार का प्रतिहार शस्त्र से करेगा
साम दाम दण्ड भेद का असर नहीं होगा
हर घाव का प्रतिशोध तेरे घाव से भरेगा जयसंहिता नही ये आज की महाभारत है
सारथी अवश्य ही माधव होगा पर भावना के आवेश में पार्थ ना ये विचलित होगा

युद्ध धर्म-अधर्म की प्रतिष्ठा का नहीं ये तर्क-वितर्क से कर्तव्यनिष्ठा का होगा
धर्म की जड़ तो सदा हरी रहेगी ही तेरे हर तर्क को विदीर्ण आज का ये अर्जुन करेगा
प्रारम्भ नहीं ये प्राणवात् को तब तक करेगा
खाली जब तक ना तेरे शब्दों की तूणीर को करेगा

कंपित तेरा अचल मन हो उठेगा जब सेना समेत चक्रव्यूह तोड़ेगा
रणभूमि में भरी तूणीर से तेरे वक्ष को छलनी कर देगा
फिरेगा रण में ललकारकर चहुँ ओर हुंकार जब जीत की भरेगा
शिथिल तेरा शरीर पड़ेगा जब सामना इस शूरवीर का होगा

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27 JUN 2021 AT 14:31

में तुमसे सवाल क्या पूछूं?
मुझे आबाद करोगे क्या?
रंगहीन दुनिया को सींचूं?
कुछ रंग भरोगे क्या?
तुम चाहते हो तुम्हें भूलूं?
मुझे बर्बाद करोगे क्या?


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20 JUN 2021 AT 22:53

स्तंभित हुआ खड़ा रहा खंभ सा तू?
अचंभित हुआ अड़ा रहा दंभ सा तू?
सुनिश्चित हुआ खड़ा रहा प्रारबद्ध सा तू?
अनिश्चित हुआ खड़ा रहा निःशब्द सा तू?

स्वयं अनभिज्ञ बना रहा स्वयंभू?
क्षणभंगुर कण भर से वर्णित तू?
कब तक रहेगा अटल आरंभ सा तू?
आख़िर कब तक बजेगा मृदंग सा तू?



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10 JUN 2021 AT 22:23

हंसा फिर ले रे हंसा
काया नगरी घणी रे अंधेरी
हंसा फिर ले रे हंसा

हंसा रम जा रे हंसा
भंवर गुफा जागे रे ज्योति
हंसा रम जा रे हंसा

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19 MAY 2021 AT 21:32

मैं ख़्वाब बेचता हूं!

मैं सौदागर तो नहीं पर, सौदा खरा बेचता हूं!

झूठी दुनिया में सच्चे, खरीददार देखता हूं;
मटमैली पोटली में अच्छे, धरकर ख़्वाब बेचता हूं!

रुठी हुई आंखों में, चुभते कांटे चुनता हूं;
बिगड़े हुए हालातों में, अधूरे ख़्वाब बुनता हूं!

ज़िन्दगी जीने के, सलीके ढूंढता हूं;
नफ़रत की आंधी में, प्यार का शहर ढूंढता हूं!

मैं सौदागर तो नहीं पर, सौदा खरा बेचता हूं!

मैं ख़्वाब बेचता हूं.....

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18 MAY 2021 AT 21:50

बस करो! चलो नही, रुक कर लड़ो!
बस करो! डटे रहो, डट कर लड़ो!
बस करो! सटो नही, सटीक लड़ो!
बस करो! अड़े रहो, अड़िग रहो!
महामारी नही है भारी!
ये भ्रम कतई न भरो!
जागो! और तुम बनो मिसाल!
जीतो! तुम हो बेमिसाल!

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10 MAY 2021 AT 22:39

तुम कभी मिले थे हमसे, शायद जमाना हो गया है
और तुम्हारे इस एहसान का जमाना भी, कमबख्त दीवाना हो गया है

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7 MAY 2021 AT 17:43

इक रोशनदान
है कमरे में,
अंधेरे से भरा है मगर,
वह महज़ इक
रोशनदान नही,
छोटा सा पर्दा है
मध्यस्थ हमारे,
एक भी रश्मि आयेगी अगर,
जीवित हो उठेंगी ये सारी,
महज़ तस्वीरें नहीं है जो,
प्रस्तुत करती हैं सदृश्य जीवन!

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5 MAY 2021 AT 15:35

नवनिर्मित जब तेरा शासन होगा,
ना कोई जब दुशासन होगा,
गरिमा तेरे अस्तित्व की बढेगी,
सरोकार ये सपना हर आंचल का होगा।

आवारा घूमती है बेरोजगारों की टोली,
ना जाने कब सजेगी तेरी ये डोली,
निर्भय होकर जब तेरा कदम बढेगा,
सरोकार ये सपना हर आंचल का होगा।

हिम्मत जब तेरी गाज़ बनकर टूटेगी,
हरामखोरों की किस्मत फूटेगी।
दफ़न करने कफ़न तक नहीं मिलेगा,
सरोकार ये सपना हर आंचल का होगा।

प्रतिभा तेरी हर शिखर को चूमेगी,
तेरी मेहनत की खुशबू चारों ओर महकेगी।
खुशियों से हर दामन भरेगा,
सरोकार ये सपना हर आंचल का होगा।

द्वार सफलता का खुलेगा, पर सेना तेरी स्वयं की होगी।
आंखें छलकेंगी तेरी, जब रोज़ी रोटी के लिए नही,
पदक हर रोती हुई आंख के लिए जीतेगी,
और इसी अहसास से तू पूरी दुनिया को जीतेगी।

नवनिर्मित जब तेरा शासन होगा...........

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