'इश्क़'
दिल धड़कना
ख्वाबों में खोना
तेरी यादों में बहना
हमसफ़र बन जाने की ख्वाहिश
बेज़ुबान सन्नाटों में तेरा नाम पुकारना।-
पर जज़्बात बेइंतहा हैं।
“पिता की शाबाशी वो ताक़त है,
जो बच्चे के सपनों को पंख
और आत्मविश्वास को आसमान देती है।”-
चलिए कुछ इस तरह
मुहब्बत का सफर ख़त्म हुआ,
ख़्वाबों की गलियों में भी अब
आना-जाना बंद हुआ।
पहले दिल से उतरे,
अब बातों का सिलसिला भी थमा,
रिश्तों की इस किताब का
आख़िरी पन्ना भी बंद हुआ।-
दिल में जब किसी की बात चुभ जाए,
खामोशी भी सैकड़ों सवाल कर जाए।
आँखें भरी-भरी सी फिर भी मुस्कुराएँ,
अधूरी हँसी से दिल को बहलाएं ।
हवा भी ठिठकती है दर्द के किनारों पर,
यादें कर जाती हैं दिल पर दस्तक बार-बार।
पर वक्त ही मरहम है, ये समझ लीजिए,
खुद को सहेजिए, दर्द को भी जी लीजिए।-
छोटा सा गिला है, बड़ा सा प्यार है,
रूठे हैं तो क्या, दिल में इंतज़ार है।
आपके बिना अधूरी सी हर एक घड़ी,
बातों में सन्नाटा, खामोश है खुशी।
दूरी का ये फ़ासला मिटे,प्यार बेपनाह रहे,
हमको मना लीजिये,कि रिश्ता हमारा महकता रहे।-
“सुंदरता केवल चेहरे पर नहीं, विचारों में भी झलकनी चाहिए।
यह कोई बाहरी आवरण नहीं, आत्मा की चमक होती है, जो संवेदनाओं में बसती है।”-
ये भी तो एक खासियत ही है,कि हम किसी के खास नहीं,
भीड़ में भी गुमनाम से,रहते हैं यूँ ही पास नहीं।
ना उम्मीदों का बोझ कोई,ना रिश्तों की कैद हमें,
खुद से खुद की बातों में,ढूँढते हैं सुकून हम।
हर चेहरा अनजाना सा,हर रिश्ता इक धुंधला ख्वाब,
फिर भी दिल को भाता है,यूँ बेवजह आज़ाद रहना।
ये भी तो इक तोहफ़ा है,किसी का होना ना होना,
खुद में ही पूरी दुनिया,खुद में ही अपना होना।-
स्वीकारो निज सत्य को,कर लो आत्म विचार।
आत्मस्वीकृति से सजे, जीवन का संसार॥-
मन पर बादल छा जाते हैं,
दिल में सैलाब जगाते हैं।
हँसी की चादर ओढ़े रहता चेहरा,
भीतर यादों के तीर चुभ जाते हैं।
ख्वाबों के परिंदे भी थककर रुक जाते हैँ,
उम्मीदें धुँधलकों में खो सी जाती हैं।
फिर भी दर्द की तहों में कहीं कोई,
रौशनी की लौ मुस्कराती है।-
भीड़ में खड़ा दिल वीराना सा लगे,
हँसी ओढ़े चेहरा, पर अंदर से थके।
सपनों की राख में सुलगता हर जज़्बा,
उदास मन खुद से ही सवाल करने लगे।-