Yashwant Singh Susheel  
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खुशनसीब मग़र बदनाम,
हरदिल अजीज़ मग़र गुमनाम,
Joined 22 January 2017


खुशनसीब मग़र बदनाम,
हरदिल अजीज़ मग़र गुमनाम,
Joined 22 January 2017
9 AUG 2023 AT 10:37

एक रात और गुजर गई
फिर क़त्ल हुए ख़्वाब सारे
फिर दिन गुजरा तेरे इंतज़ार में
फिर से रह रह कर कई मौत मरे

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23 MAY 2023 AT 22:26

तिल चुराया अपने होठों पे सजाया,
मगर लाओगे कहाँ से चुरा के शबाब,
चाँदनी भी तुम्हारी, रोशनी भी तुम्हारी,
मगर महबूबा मेरी सी कहाँ है जनाब?

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17 MAR 2023 AT 22:24

श्री क्षत्रिय युवक संगठन की वैचारिक शक्ति को और मज़बूत करने की दिशा में श्री क्षात्र पुरुषार्थ फ़ाउण्डेशन समाज के विभिन्न वर्गों में आपसी सामंजस्य स्थापित करने के उद्देश्य से समय-समय पर कार्यशाला, सम्मेलन, स्नेह मिलन जैसे कार्यक्रमों का आयोजन राज्य स्तर पर करता रहा है। इसी क्रम में बीकानेर जिले के अधिकारी वर्ग का पारिवारिक स्नेह मिलन समारोह बीकानेर शहर में आयोजित किया जा रहा।

“समाज के विकास में अधिकारियों की महत्ती भूमिका” विषय पर चिन्तन किया जायेगा। जिसमें प्रमुख वक्ता श्री महेंद्र प्रताप सिंह जी भाटी सहित अधिकारीगण जयपुर से पधार रहें है।

ज़िले के अधिकारीगण आपसी जुड़ाव और प्रशासनिक तालमेल के उद्देश्य से दिनांक 26 मार्च, 2023 को सांय 6:15 बजे इ.गा.न.प. कॉलोनी के प्रथम श्रेणी विश्राम गृह में आयोजित कार्यक्रम में शामिल हो रहे हैं। समाजहित में आपकी सपरिवार उपस्थिति सादर प्रार्थनीय है।

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5 SEP 2022 AT 9:10

समय से बड़ा गुरु कौन ???

जिसने ठोकरें दी और ज्ञान भी
जिसने दर्द दिया और दवा भी
जिसने प्रेम दिया और विरह भी
जिसने चोटें दी और अनुभव भी
जिसने घात और विश्वास भी
जिसने मित्र दिए और शत्रु भी
जिसने अपने दिए और ग़ैर भी
जिसने अमीरी और मुफ़लिसी भी
जिसने गहराइयाँ दी और ऊँचाइयाँ भी
वक़्त के आगे सब झुके है राजा भी रंक भी
आज जो भी हूँ वक़्त ठोकरों से बनी धूल हूँ

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23 AUG 2022 AT 22:13

एक तो दुर्गो हतो दूजो मोती महान,
किण ने कम आंकूँ त्याग रे पैमाण,
त्याग रे पैमाण मोती तूँ हीरां री खान,
जग में अमर राखी राठौड़ी पिछाण ।।

मारवाड़ रा मोती तने कुल री आन,
तने कुल री आन तूँ बिलमाई बैरी
शीश कटे धड़ - लड़े जोधो ज़बर जवान,
मात भोम रे मान में समझी खुद री शान ।।

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19 JUN 2022 AT 0:06

गुलाबी शहर की यादगार वो शाम
यारों की महफ़िल जो थी तेरे नाम
सितारे गिराए ज़मीं पर ख़ुदा ने
जब भी पुकारा किसी ने तेरा नाम

वो आँधी, वो बारिश, ख़ुशी का पैग़ाम
यारों ने उठाए जब भी हाथों में ज़ाम
कुछ के चर्चे हुए, कुछ लबों पर रहे
कुछ नशे में गिरे, कुछ गिरे तेरे नाम

उसने पल्लू लहराया, बादल घुमड़ के आया
कुछ ने काजल चुराया, कुछ ख़ाली बदनाम
वो नज़रें चुराए, ज़रा मुस्कुराए, बिजली गिराए
कुछ बच के निकले, कुछ आ गए काम

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15 JUN 2022 AT 23:57

“प्रेम री अभिव्यक्ति”
प्रेम री अभिव्यक्ति सारू किणी माध्यम री ज़रूरत नी पड़े
प्रेम ना तो आखरां रो मोहताज, ना ही संवाद रो अर ना ही किणी दीठ रो।
जे आखरां रो मोहताज होवतो तो अनपढ़ किण भाँत प्रेम करता, जे संवाद री दरकार रेवती तो प्रकृति सूं प्रेम नी होवतो अर जे दीठ री ही ज़रूरत होवती तो प्रेम अंधो नी होवतो।

इण भाँत-“प्रेम री अभिव्यक्ति प्रेमी अर प्रेमी री अभिव्यक्ति फ़क़त प्रेम ही है।”

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11 JUN 2022 AT 11:15

सारी कयानात एक तरफ़, सारे सवालात एक तरफ़
सारे शिकवे एक तरफ़, सारे मलाल एक तरफ़
चाँद सितारे एक तरफ़, मेरा आफ़ताब एक तरफ़

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11 JUN 2022 AT 10:59

एक लक्ष्य, एक तीर
एक चपल, एक धीर

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24 MAY 2022 AT 13:14

गुलाबी शहर की यादगार वो शाम
यारों की महफ़िल जो थी तेरे नाम
सितारे गिराए ज़मीं पर ख़ुदा ने
जब भी पुकारा किसी ने तेरा नाम

वो आँधी, वो बारिश, ख़ुशी का पैग़ाम
यारों ने उठाए जब भी हाथों में ज़ाम
कुछ के चर्चे हुए, कुछ लबों पर रहे
कुछ नशे में गिरे, कुछ गिरे तेरे नाम

उसने पल्लू लहराया, बादल घुमड़ के आया
कुछ ने काजल चुराया, कुछ ख़ाली बदनाम
वो नज़रें चुराए, ज़रा मुस्कुराए, बिजली गिराए
कुछ बच के निकले, कुछ आ गए काम

ज़िंदगी के सफ़र में आएँगे कई “पड़ाव”

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