Yashwant Chauhan   (Yashwant..chauhan)
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Joined 3 May 2017


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9 DEC 2024 AT 7:46

कहां जाऊं मैं
तेरी यादों से बच के,
अब बिछड़ना प्रेम का अंत लगता है

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2 JUL 2022 AT 13:56

सांवली सांझ संध्या..
सरयू नदी के किनारे बैठ
लहरों से स्पर्श करती हवाएं
जब अंतर्मन को छूती है ।
तो प्रेरित करती है मुझे,
बैरागी बनने को ...!
लगता है.....?
संसार की तमाम सुख दुख को त्याग कर ,
इस मोह माया की नगरी से परे
प्रकृति की गोद में एक साधक बना रहूं ।

दूसरी तरफ ....

जब कभी उसे देखता हूं
उसकी नाक की नथ !
बाध्य करती है मुझे
सांसारिक प्राणी बने रहने की ।

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5 APR 2021 AT 7:51

तुम्हारे होठों के लिए
मेरे होंठ हमेशा ही एंटीडोज रहेंगे

तुम मिलना कभी शुक्ल पक्ष की
चांदनी रात के छांव तले

तुम्हारे होठों से बिच्छू ज़हर उतारेंगे
सघन, सुदीर्घ चुंबन के बाद
तुम पर लगा ग्रह उतर जाएगा

बस! रह जाएंगे
मेरे दिए हुए दंत हस्ताक्षर

जो अनंत काल तक
तुम्हारे होठों पर
एक एहसास बनकर जीवित रहेगा

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9 JAN 2022 AT 19:55

साँवली सांझ ...
गूंगे खेतों के बीच ...
समस्त मर्यादा लांघ चले आये थे तुम
एकाएक,एकदम..
एकटक,अपलक,अनवरत
तुम्हें निहारते रह गया था मैं

मुझे याद है...
हरित लवक सी उत्प्रेरक
स्नेहित आकांक्षाए ..
प्रकाश संश्लेषण की क्रिया की तरह
भाव संश्लेषण की क्रिया कर
हमने खेतों की एकांत विरह को गुलाबी कर दिया था

सुनो ! तुम मिलो फिर कभी एकाएक, अनवरत

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8 JAN 2022 AT 23:22

साँवली सांझ ...
गूंगे खेतों के बीच ...
समस्त मर्यादा लांघ चले आये थे तुम
एकाएक,एकदम..
एकटक,अपलक,अनवरत
तुम्हें निहारते रह गया था मैं

मुझे याद है...
हरित लवक सी उत्प्रेरक
स्नेहित आकांक्षाए ..
प्रकाश संश्लेषण की क्रिया की तरह
भाव संश्लेषण की क्रिया कर
हमने खेतों की एकांत विरह को गुलाबी कर दिया था

सुनो ! तुम मिलो फिर कभी एकाएक, अनवरत

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13 DEC 2021 AT 22:56

दिये के उजालो में..
रात- रात भर जाग कर
पढ़ने वाला लड़का
जब से प्रेम में पड़ा हैं
हृदय का स्पन्दन ,
रक्त का बहाव ,
और
मौन हुई भाषायें
समझने लगा है

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17 OCT 2021 AT 20:21

जिस प्रकार मरूस्थल
नदी के इंतेजार में....

अनंत काल से प्यासा हैं
और सुखा पड़ा है

ठीक उसी प्रकार ....
अत्यधिक इंतेजार, उपेक्षा
इंसान में खालीपन ला देता है

और खालीपन अंदर से
आप को खोखला करता जाता है
जो कि दुःख,
अवसाद का कारण है ।

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10 OCT 2021 AT 19:54

इस भूमि पर...
सबसे आकर्षण क्या है ?
सुबह की लाली ..
ढ़लती सांवली साँझ
पुष्प की महक ...
चांद की चमक ...
या उसके होठों पर
तराशा गया तिल ?
कदाचित् ...
उसके होठों के
ऊपरी भाग का तिल
आकर्षण का मानक है

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8 OCT 2021 AT 19:40

तुम जो अपनी आंखों
की जादूगरी से...
अज्ञात लिपियों और
अबूझ भाषाओं का
प्रयोग कर ...
प्रेमाग्रि को ज्वलित
करने का काम
करती हो ना...
सुनो !
ये स्पर्श की भाषाएं ...
हृदय तल ...
में उथल पुथल करती हैं

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13 AUG 2021 AT 20:45

ए दिल तू भी ईमानदार नहीं है ...
तू मेरा होकर भी, किसी और का है

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