पर जिद्दी तो मैं भी कम नहीं।
तू और कर गहरे गम के गड्डे ।
पार निकलना मुझे भी आता है ।
हार जीत नहीं जानती हूं मैं
पर हर राह चलना मुझे आता है।
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आजकल आईना भी
दिखा रहा है मुझे आईना ।
कि अकेले आए थे और जाना भी है अकेला ।
सुना है कि आईना कभी झूठ नहीं बोलता।-
सोच में हूं या शोक में नही पता
पर हां आज ये जरूर पता है मुझे।
की तू कहती कुछ और है पर करती कुछ और।
आंख में देकर आंसू और जमाने भर का दर्द ।
इन ही आंखों में भर दी है कुछ मुस्कुराती हुई सी
उम्मीद खुशियों की पल हर पल-
तुम मेरी आंखों का हर एक सपना हो।
तुम मेरे जीवन का हर सुख हो और
हो तुम मेरे दुखों में खुशियों की उम्मीद।
तुम मे जीया है कई बार खुद को मैंने
मेरे दिल की तुम ही तो धड़कन हो ।
Happy daughter's day
Tinny and jyoti-
इस गुलिस्तां में एक गुलाब हमारा भी था।
औंस की नन्ही नन्ही बूंदों के साथ
सूरज की किरणों में इठलाता इतराता हुआ।
दुनिया की बेदर्दी में कब धूल हुआ
और भेदा गया अपने ही कांटो से खाक हुआ।
इस गुलिस्तां में एक गुलाब हमारा भी था
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एक घर एक छत और हम साथ साथ ,
हम साथ साथ पर कैसा ये साथ ।
ना तुम जानो मुझे ना मैं ही तुम्हारे साथ ,
क्यूं ये फासले कभी कम नहीं होते ।
इन तन के रिश्तों में मन के रिश्तों से दूर है हम जब तक
ये फासले कम नहीं होते
ये फासले कम नहीं होते ।-
नहीं अज्ञानी कोई अगर मातृभाषा में बोले।
ना ही निरक्षरता का है ये प्रमाण कोई ।
ये तो प्रमाण है देशप्रेम और अपनों के सम्मान का
करना सम्मान जब मातृभाषा में बोले कोई ।
सहजता हमारी सोच हमारी भाव हमारे
प्यारे हमें अपनी ही भाषा में।
ना कहना गंवार जब मातृभाषा में बोले कोई-
सुबह की निकलती स्वर्णिम किरणों में ,उन्मुक्त उड़ान भरते ये परिंदे आहत करते मन ,आह ये स्वछंदता ये उन्मुक्तता कहा मुझ में।
उड़ना चाहती हुं खोल अपने परों को
इस उन्मुक्त गगन तले पूरी स्वछंदता के साथ इन परिंदों की तरह,हां मैं जीना चाहती हुं
इन परिंदों की तरह। इन परिंदों की तरह-