Yashi Singhal  
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Instagram: Yashisinghal5889510
Joined 27 August 2018


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Joined 27 August 2018
14 MAY 2023 AT 13:55

मुझे दिक्कत उसके निकालने से नही हुई थी दोस्त
दिक्कत थी, तुम्हारे मेरे साथ न निकलने से
दिक्कत थी तुम्हारा मेरा साथ छोड़ देने से
तुम कहोगे, और कह भी सकते हो
हक बनता है तुम्हारा
कि भले ही तभी नही लेकिन बाद में तो
तुमने मुझसे पूछा था ना
कि क्या तुम मेरा साथ दो?
इस प्रश्न चिन्ह ने ही मुझे तुमसे अलग कर दिया था तब
फिर तुम मेरे साथ हो या नहीं
क्या फर्क है!

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16 SEP 2022 AT 0:27

You wanna SHOW yourself most HAPPY when you are actually DEPRESSED!

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19 MAR 2019 AT 6:53

Is my offline whatsapp 😍😅😂

Contains chats with my frnds on most serious topics along with funniest symbols , emojis & abbreviations...

As we have to discuss urgently but teacher said to shut the mouths...

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15 JAN 2022 AT 21:25

ना जाने कब तुम्हे अपना बताने वाले लोग
तुमसे तुम्हारा वजूद पूछने लग जाए
ना जाने कब तुम्हारा साथ निभाने वाले लोग
तुम्हारे साथ को बेवजह करार कर जाए
उस समय क्या तुम्हारा कहना जायज़ होता है?
क्या उन्हें रोक लेना हिदायत होता है
या शांत रह जाना ही किफ़ायत होता है...?
ना जाने....

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15 JAN 2022 AT 21:11

दिल का कुछ किया नहीं जा सकता
कभी दुख में लिखने को कहता है
कभी सुख में
कभी खुद को दवा बताता है
कभी दुआ लेने का तरीका
पर जो भी हो
खूबसूरत सी सज़ा है ये
कि
आओ कलम ने बुलाया है
थोड़ा काम किया जाए
थोड़ा पन्ने को भारी
और दिल को हल्का किया जाए..
वाकई...
दिल का कुछ किया नहीं जा सकता...!

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12 AUG 2021 AT 0:53

की मुझे इतना चाहो
बना दो सबसे ख़ास
फिर क्यों
वो सफ़र शुरू किया
जिसको अंजाम पर तुम नहीं ला सकते?
फिर क्यों
वो जगह दिखाई
जहां तुम मुझे नहीं बैठा सकते !
मैं तो निश्चल तुमसे अलग थी ना ?
अलग ही सबसे भली थी ना ?
क्या मेरी खुशी गवारा नहीं लगी?
क्या वो पहले तुम्हें अपना सहारा नहीं लगी?
फिर क्यों???

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12 AUG 2021 AT 0:46

जब तुम्हे लगे की तुम कुछ ज़्यादा चाहने लगे
जो या तो वो दे नहीं सकते
या तुम्हारी लेने की औकात नहीं
और कुछ कारकों के कारण हो भी नहीं सकती
तब रुको, संभल जाओ
सोचो, क्या इतना ही ज़रूरी है ये सब
क्या सच में?

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30 APR 2021 AT 23:51

नही पता अब आज किसी को
आगे क्या मंज़र होगा
कोई होगा साथ
या जीवन बस खंजर होगा !
यहां अब हर कोई बस शंका में जीता है
कहां गया वो शंकर ,जो ज़हरों को भी पीता है ?
तांडव करके उसको भी कभी तो रुकना होगा
ममता के आगे शायद उसको ही झुकना होगा
हे प्रभु ये जीवन ही न बचा तो क्या होगा
किस पर निगाह रखोगे तुम
कैसा संतुलन होगा ?
हम कपूत ही सही मगर तुम थोड़ी दया दिखाओ ना
इस दुख से हम दुखियारों को कोई निजात दिला दो ना !

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24 MAR 2021 AT 23:52

इश्क़ तो तुम्हारे रग - राग में समाया है
तभी तो यह स्वतः तेरी ज़ुबान पर आया है !

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21 MAR 2021 AT 21:47

वो कहते थे
परिवर्तन आवश्यक है
आदत से बचो
वो भी 'बुरी '
अब वो हमारी आदत बन गए हैं
शायद ...
वही 'बुरी ' आदत
क्या आज भी वो वहीं कहेंगे ?
या आवश्यकता, सिद्धांत के ऊपर आ जायेगी?

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