Yashfeen Hashami   (Yashuz)
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Allah hi humari waheed ummid hain....!!야스핀 하사미.....
Joined 6 March 2021


Allah hi humari waheed ummid hain....!!야스핀 하사미.....
Joined 6 March 2021
21 APR AT 12:03

ज़ेहन की ज़ेहनियत को तक़ल्लुफ़ ना दें मोहतरम,
अगर क़ल्ब-ए-हयात हैं तो ऐहतराफ़ करें...!!!

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11 APR AT 15:48

Eid Mubarak......

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10 APR AT 1:58

मैं फिर से ईद के दिन खफा हो जाऊ तुमसे
क्या फिर से तुम मनाओगे मुझे
मैं फिर से इंतज़ार कर लुंगी तुम्हारा
क्या फिर से तुम अपनी बावफ़ा दीद कराओगे मुझे
मैं फिर से तुमसे ईदी माँगू
क्या फिर से तुम मेरी ईदी बनोगे...!!!

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8 APR AT 5:11

जाहिल से बहस और बेशर्म से ताल्लुकात कभी नहीं करना चाहिए
जाहिल के पास ज़हेन और बेशर्म के पास ग़ैरत दोनों नहीं होते....!!!!

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7 APR AT 13:19

सुने जाना जी अगर इजाज़त हो तो
मांग लूँ ईदी में आपसे आपकी झूठी मोहब्बत...!!!

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6 APR AT 23:07

बावफ़ा तो आपके अलफ़ाज़ भी नहीं हैं, मोहतरम बात आप अपने अफ़्ज़ल किरदार की कर रहे हैं अस्तग़्फ़िरुल्लाह....!!!

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6 APR AT 4:55

जहाँ मोहब्बत हो वह इसरार करना चाहिए, जहाँ मोहब्बत ना हो वहां इसरार नहीं करना चाहिए,
जब आने वाले गम की आहट पता हो जाएँ,
तो राब्ता कम कर देना चाहिए,
राब्ता ख़त्म तो ताल्लुक़ात भी ख़त्म,
इसरार, मोहब्बत,राब्ता,ताल्लुक़ात को ज़िन्दगी में तरजीह देना कम कर दो
तो ज़िन्दगी में खुशियों की बरकत बेशुमार होगी....!!!

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4 APR AT 23:59

पुराने घाव को भरने के लिए नए जख्म पाल रहे हैं
ये जख्म घाव देगा या नहीं ये वक्त के हालातो पर छोड़ दिया हैं...!!!!

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28 MAR AT 21:27

सदक़ा देकर आई हूँ आज तुम्हारे नाम और तुम्हारी यादों का
खुदा महफ़ूज़ रखे हमें तुम जैसे बलाओ से और शिफ़ा दें हमारी ज़िन्दगी को....!!!!

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27 MAR AT 5:19

चलो एक बार फिर से हम दोनों अजनबी बन जाएँ,
मैं न रखूं तुमसे कोई तवक्कुल दिल-ए-नवाज़ी की,
 न तुम मेरे पास वापस आओ दिल-ए-उदासी लेकर
न जाहिर हो कश्मकश मेरी बातों से,
न तुम मुतास्सिर हो मेरी मुख्लिसि से,
मेरे हमराह में हैं बेवफाई  मेरे माज़ी के,
तुम फिर से बावफ़ा बन कर मेरे मुस्तक़बिल  के हमराह न बनो,
तुम अफ़साना थे मेरी ज़िन्दगी के,
जिसका मैंने जनाज़े की फातिहा पढ़ लिया...!!!!

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