अब तो वीडियो कॉल पर मिलते है लोग,
वो ज़माना गया जब गले मिलते थे लोग |💯-
बनकर खाक मिल गया मिट्टी में,
होना है सबको दफ़न एकदिन मिट्टी में,
मैं करता रहा आँगन साफ अपना
हर बार भर गया आँगन मिट्टी से,
कैसे बचाऊ मैं बरसात से अपना घर ,
है मकान भी मेरा मिट्टी से,
हो गयी है ओझल रोशनी रुक गयी है दड़कन,
ले चलो यारो, है नाता अब मिट्टी से..
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किस से बचोगे, किसका कहां मानोगे,
ये तुमसे छीन लेगा सब, बस बैठकर रोओगे,
इश्क़, मोहब्बत, प्यार सब बेफुजूल है,
मैं नहीं कहता था, जान से जाओगे,
सुना है बे दर्द होते है वफ़ा के फरिस्ते,
मेरी बात मानो यार, तुम बेवफा कह लाओगे,
एक ही मर्ज़ की दवा हर बार कौन करें आखिर,
इल्म नहीं नाजने कब, बे-दवा मर जाओगे..
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खुली किताब सी हमने इस तरहा तुम्हें जाना
कोई फूल जो काबिल है वही फूल तुम्हें जाना,
कोई आहट जो होती है बहारें संग लाती है...
वही मौसम, वही पतझड़, तुम्हे हमने वही जाना,
वोह सावन की पहली बारिश की बूँद जैसी है..
किसी बादल की घटाओं को तुम्हें हमने वही जाना,
कोई पूजे किसी मूरत को जिसे विश्वास होता है..
जोह शामिल है सदके में, तुम्हें हमने वही जाना,-
वोह इतने करीब रहकर भी मेरा ना रहा..
इस बात का यार हमें आज तक मलाल रहा,
वो लिपटकर मुझसे गैर के लिए रोती रही..
मैं उसको सिर्फ दिलाशा दिलाता रह गया,
वोह दुल्हन भी बनी सामने किसी ओर की मगर,
मैं बस आँख भरकर उसे सिर्फ देखता रहा..!!-
Tum Durr Rhkr Bhi Mere Aas Paas Rthi Ho,
Tum Kuch Na Kaho Mgr Tumhari Hr Baat Mujh Tk Aajti Hai,
Jb Tum Saamne Hoti Ho, Bhale Hi Main Kuch Na Kahu..
Magr Such Mein Dil Mein Tofaan Ke Sath sath Salab Bhi Uthne Lgta Hai.
Chalo Koi Ni Tumhari Baat Kisi Aur Se Hone Lgi Hai,
Magr Main Janta Hu Aaj Bhi Kahin Na Kahin Aaj Bhi Tumahre Dil Mein bsar krta hun …
Or Main Jbtk Ruhnga Tumare Aas Paas Jbtk Tumahre Sheene Mein Ye Dil Dhadkta Rhega,
Suno Tum Durr Rhkr Bhi Mere Ass Paas Rhti Ho..!-
ना दौलत अता कर मौला,ना भले ही जन्नत अता करे
देश का परचम ज़ब भी लहराए जीते जी मान रखे,
क्यू हर तरफ बस यही फर्ज़दारी होती है,
हम भूल जाते है हमारी भी जिम्मेदारी होती है,
ज़ब कभी देश में परचम लहराया जाता है,
फिर क्यू तिरंगा सड़को पर पाया जाता है..??-
उम्मीद से बहतर कुछ खाश नहीं लगता मुझको,
अब इस सिगरेट की ही तलब लगी रहती है मुझको,
मैंने तुमसे कहा,तुमने उसको कहा,उसने किसी ओर को
यार.. बस यही बात बुरी लगती है तुम्हारी मुझको.. !!-
देख गुजर रही है तेरे शहर से ये सारी रात,
लगता है फिर से रुलायेगी अब ये तेरी याद,
यार जल्द ही लौट आऊंगा तुमने कहा था,
वक़्त देखदेखते ही गुज़ारदी हमने सारी रात,
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मैं खुदको ही खुद से ही मरता नहीं लेकिन,
तुमने ही है मुझको आवारा बना डाला,
तुम्हे ही सोचकर कमरे की रोशनी धीमी करि मैंने,
कहीं तू दिख जाए, तो मेरी जान पर ना बन आये कहीं..-