वो हर्फ दर हर्फ गुजरती है मेरी यादों में
लिखी हुई उन छोटी छोटी बातों में
कहे या ना कहे वो मुझे अपने दिल की
पर कभी कभी तो कर ले सांझा मुझे अपने वादों में
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person without any direction
One who is mad enough to run br... read more
बातें कुछ ऐसी होती है आजकल अपने आप से
उस दिन सुनकर भी अनसुना कर दिया एक ख्वाब ने
गलती क्या थी वो तो बताता एक बार
या बस यूं ही झटका दिया सोए से जज्बात ने-
लगता है अब कुछ ही मुलाकाते बाकी है ,
सपनों की कुछ यादें बाकी हैं,
चलो खुद ही खुद को अहमियत बतला दे खुद की,
जिनमे मरे हुए हम और ज़िंदा तेरी बातें बाकी है-
एक चेहरा है नक़ाब
के साथ
दूरियों और पास होने
के हिसाब
के साथ
अपने स्वार्थ की दौड़
दौड़ रहा है
हर कोई शहर में
धोखे के खंजर
और खुदगर्जी
के लिबास के साथ-
रास्ते बयान करेंगे एक दिन दास्ताँ सफर की समझ के रखना कभी न कभी लौटेंगे इन्ही से
कुछ बातें रह गयी है कहनी
कुछ बाकि रह गए है इलज़ाम तेरे सुनने ......for more read discription
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May be those lines are the fine bridge to connect our souls, no show off no fight , just the pure one beyond whats wrong what's right
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तेरी यादों की बारिशों की बात और है
भूल जाता हूँ सबको तुझसे मिलकर
सपनों में भी तेरे किरदारों की बात और है
जिंदा तो बहुत सालों से था
पर तेरे साथ जीने की बात और है-
मैं जज़्बातों में बहा हूँ जख्मों में जिया हूँ,
कुछ गुज़ारिश थी खुद से कभी शिकायत थी तुझसे,
अपनों के लिए तरसा था कभी ,
आज सपनों के शहर सा ढहा हूँ मैं-
I am ascertain that I cannot dissuade the feeling to love you. It's like the entropy which will dilate with time but if something went wrong and it indicated paucity then that will be the 1st sign of emasculation of my inner soul.
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