हाँ ! अब के दरमियान तो हमने भी बहुत कुछ देखा हैं ,
क़ी अब का इश्क़ तो महज़ जिस्मों का सौदा हैं ॥-
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किसी की बेरुख़ी का असर उसपर कुछ यूँ हुआ हैं ,
की ग़ैर वो अब हर महफ़िल से हुआ हैं ॥-
रात सर्द , शमा हसीन , ठहरा तूफ़ान ,अरे क्या बवाल था ,
और इस उल्फ़त में हम रहे , की ये सारी मौसम की बेयिमानी थी ,
या उनकी लाल साड़ी का कमाल था ।-
इन सुर्ख़ियों की हवाएँ कुछ जानी पहचानी सी लगती हैं ,
कभी किसी किताब की हसीन कहानी लगती हैं ,
और क्यूँ ना हो अफ़वाह हमारी मुश्कुराहट की .
आख़िर आजकल वो हमसे एक छोटी काली बिंदी लगाकर जो मिलती हैं ।।
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‘ जैसे - जैसे इन सर्दियों में कोहरा हुआ ,
चाय के साथ मेरा इश्क़ और गहरा हुआ ।।-
उल्फ़त आज फिर कुछ युं बढ़ी रह गयी ,
की खोए रहे कुछ युं हम उनकी यादों में ,
की कम्बकत आज फिर हमारी चाय ठंडी रह गयी ।।
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रातों में नींद ना सही , सुबहो में अँगड़ायी होनी चाहिए ,
और कुर्बतें लाख सही मगर , दिल में उनकी परछायी होनी चाहिए ।
क़ुर्बतें(दूरियाँ)-
तेरा नाम मोह्हब्बत हैं , मेरा नाम दीवाना हैं ,
तू हुश्न की मल्लिका हैं ,
मेरा काम तुझपे लूट जाना हैं ।-
बेपर्दा तेरी ये नज़रें सब बता रही हैं ,
बेहया तेरी ये मुस्कुराहट ,
तेरी गुस्तख़िया बढ़ा रही हैं ,
यूँ मूह फेर लेना , क़ोई इबादत नहीं देग़ा,
और मुक़दमा चला तू , चाहे जितने भी ,
तुझे गवाही भी मेरा , तेरे साथ बिताया हुआ वक्त देग़ा ।-
क्यूँ कलम मेरी आज यूँ लिखते - लिखते रुक रही हैं ,
एक यही तो है , जो आज भी मुझसे तेरी बातें करती है ।-