खामोशियों में आवाज़ सी है,
सुकून तो नहीं,
तबियत कुछ नसाज़ सी है,
एक ख़लिश है,
ज़हन मे हमारे,
हाँ हम तो हैं तन्हा,
क्या वो भी उदास सी है?-
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Doctor to be ⚕️..
Writing is an emotion......
#lovedoctorzz
#dryashsha... read more
कई मुद्दतों बाद बात करी है दिल से,
ज़माने ने चुप रहना, सिखाया बोहत था!-
मैं देखूं जब भी तुझको,
समा कुछ खास हो जाए,
हो आसमां मे चांदनी बिखरी,
और तू मेरा चांद हो जाए!
लिखूं मैं जब भी कविता कोई,
पन्नो मे बिखरी स्याही हो जाए,
हो आशिक़ भले ही ज़माना सारा,
तू मेरी नूर-ए-हयात हो जाए!
चाहता हूं सिमट जाऊं हवाओं मे,
मुकम्मल हो जाऊं सांसों में तेरी,
और एक दिन कम रहूं इस जहां मे तुझसे,
मौजूदगी मे ही तेरी फना हो जाऊं!
-
तिजारत सी मुहब्बत है ज़माने में,
महबूब दूर बैठा है मुझसे,
हिज्र चुभता है बारिशों में अक्सर,
बावफ़ा इश्क़ तो कभी महबूब का नाम लेता हूं!-
चाहतों की चाह थी उनसे,
और नफरतों के किस्सों से मशहूर थे हम,
मुकम्मल वफ़ा की उम्मीद रखते थे उनसे,
बेवफ़ा मिजाज़ से मशहूर थे हम,
और वो समझते थे परवाना, झोंखा हमे हवाओं का,
दरअसल शहेलियों मे उनकी मशहूर थे हम,
वो इस बात को समझते की इश्क़ है महज़ दिल्लगी नहीं उनसे,
पर मुसाफ़िर थे आगे बढ़ जाने को मशहूर थे हम!-
शोख अदाएं उनकी,
बेपनाह मोहब्बत निगाहों में,
लबों पर नाम बस हमारा था,
वक्त था, पैमाना था , इश्क़ था और सारा ज़माना,
कमबख्त वो दिल था उनका जो न हुआ हमारा!
इबादत तो की थी हमने बोहत,
सजदों में सिर भी झुकाया था,
हाथ थामे थे जिसके उम्र भर के लिए,
वो शक्श कायनात से भी प्यारा था,
और ये महज़ खयाल थे हमारे,
पत्थर था वो जिसे हमने खुदा बनाया था!-
कुछ लफ्ज़ों को कागज़ पर सज़ा देते हैं,
इज़्जत, आबरू, झूठी शान ही सही,
न छलक जाए आज ज़ाम कहीं,
पैमाना नाप ही लेते हैं!-
मेरी खामोशियों की गूंज उस तक न पहुँची,
रूह हो गई फना, फलक तक न पहुँची,
और सोचा था कुछ तो फ़र्क पड़ेगा कातिल निगाहों में उनकी,
पर ताज़्जुब है, वो पहले से और भी खूबसूरत हो गईं-
प्यार के तराज़ू में आशिकी तोल रही है,
किसी और की चाहत है वो अब,
आंसू को, मुहब्बत को उसमे टटोल रही है,
वो इश्क़ थी, जां थी हमारी कभी,
अब लगा कर आग सीने में, नुकसान पूछ रही है!-