दिल के दर्द को निगाहों ने,
अश्कों की बरसात कर बहाया है,
हा आज हमने कर के लाख जतन
तुझ बेवफा को भुलाया है।।
फ़ोन से तेरी हर तस्वीर को आज मैंने हटाया है,
तेरी वो झूटी जानू सोना वाली बातों के,
हर खत को मैंने आज जलाया है।।।
बा~मुश्किल तेरी साथ गुजारे हर~पल,
हर~अहसास को आज मिटा पाया हूं।।।
तेरे लिए उठते हर जज्बात को मार कर
आज बा~मुश्किल तुझे इस
दिल~के~शामियाने से बाहर कर पाया हूं।।
आज एक अरसे बाद,
तुझ को भुला के खुद को पाया है।।
तेरा वो पहली मुलाकात पर दिया गुलाब जो
कभी रखते थे हिफाजत से किताब में,
आज उस गुलाब को जला के इस,
दिल~ए~नादान को बहुत सुकून आया है।।
-silent_feeling_narrator
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