Yash Krishan  
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Joined 7 July 2018


Joined 7 July 2018
30 JAN 2022 AT 2:07

ये अच्छा हुआ कि मेरे पुराने
इश्क़ अधूरे रह गए,
तुमसे मिलना था, इसीलिए वो बस थोड़े-थोड़े रह गए

जो हर मोहब्बत में हो गए थे दिल के हिस्से,
तुमसे मिलकर, वो एक धीरे-धीरे हो गये,

उनके साथ सफर असीम से थे,
मंजिल तुम थी, इसीलिए वो रास्ते अधूरे रह गए

मैं खुश की मेरे पुराने इश्क़ अधूरे रह गए,
मेरे असहास जो खुद अधूरे थे,
वो तुमसे मिलके पूरे हो गए
::यश— % &

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24 JAN 2022 AT 22:29

असर तेरे इश्क़ ने कुछ ऐसा कर दिया,

लिखते थे जो डायरी में बातें, सब कुछ आज सारे आम कर दिया

- यश

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11 JAN 2022 AT 23:12

पता नहीं क्यों सब तुम्हारे साथ आसान सा लगता है,
तुम रहती तो सब शांत सा रहता है

तुम्हारे होने से मुझे एक सहारा मिल गया,
जैसे लहरों को उसका किनारा मिल गया।।

::यश

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31 OCT 2021 AT 9:49

तुमसे मिलके जाना कि ये
फिक्र छोड़ सकता हूँ,

तुम्हारे सामने मैं,
मैं हो सकता हूँ..

- यश

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27 OCT 2021 AT 13:17

तुमसे मिला तो लगा
की क्या छूट रहा था,

दुनिया तो खूबसूरत सी थी ही,
मैं ही बस रूठा खड़ा था ..

- यश

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13 JUL 2021 AT 23:14

तुम्हारी मुस्कान ज़रूर ख्वाब नुमा है,

वरना हक़्क़ीक़त इतनी खूबसूरत कहाँ है

::यश

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29 JUN 2021 AT 21:27

इस तरह मैं खुद को भूल जाता हूँ,

तुम्हें याद कर
मैं-तुम हो जाता हूँ।।

::यश

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7 JUN 2021 AT 0:56

हमारे व्यस्त से जीवन में जो छोटी बातें कहीं गुम गयी थी , इस अन्धकार के समय में उसने शायद अपना रास्ता वापस खोज लिया है । दौड़ते - भागते , न हाल पूछते, ना ख्याल पूछते, जो हम चले जा रहे थे, शायद इस गलीज़ काल ने उन बातों का पता बता दिया है। इतनी तेज़ रफ़्तार दुनिआ में जब सांस लेना भी दूसरे नंबर पे हो, और सपनों को साकार करना पहले, तो जब ये दुनिया रुक सी गयी तो शायद उन एहसासों ने अपना रास्ता वापस खोज लिया है।

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6 JUN 2021 AT 23:58

हमारे व्यस्त से जीवन में जो छोटी बातें कहीं गुम गयी थी , इस अन्धकार के समय में उसने शायद अपना रास्ता वापस खोज लिया। दौड़ते - भागते , न हाल पूछते, ना ख्याल पूछते, जो हम चले जा रहे थे, शायद इस गलीज़ काल ने उन बातों का पता बता दिया। इतनी तेज़ रफ़्तार दुनिआ में जब सांस लेना भी दूसरे नंबर पे हो, और सपनों को साकार करना पहले, तो जब ये दुनिया रुक सी गयी तो शायद उन एहसासों ने अपना रास्ता वापस खोज लिया। हाँ माना की कई गुना दाम चुकाना पर गया हमें, पर इस नकारात्मकता से भरे दुनिया में अगर जीना है तो, उमींद तो खोजनी ही पड़ती। इंसान जब बड़े बड़े चीज़ों से हारा है, तोह इसकी सकारात्मकता ही है, जो इसको खींचे चली आती है।

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20 MAR 2021 AT 7:40

पता नहीं, ये बड़े शहर को गुरूर क्यों इतना है,

ना सुना है जिसने चिड़ियों का चहचहाना,
ना जुगनुओं का जगमगाना देखा है

::यश

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