Yash Kelwa   (यश केलवा)
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Joined 16 January 2019


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Joined 16 January 2019
1 SEP 2020 AT 23:15

कई जगह रातों को जुगनू भी करते हैं उजाला,
रोशनी सूरज की मोहताज नहीं होती ।

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31 AUG 2020 AT 19:24

थोड़ा सा अलग है मेरा जज़्बातों को जाहिर करने का तरीका,
कहना होता है जब बहुत कुछ मुझे,
तो अपनी कलम से स्याही फैला देता हूं मैं।

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25 AUG 2020 AT 21:21

सफ़र सारे पूरे होंगे।
आज नहीं तो कल होंगे।

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15 AUG 2020 AT 0:13

कुछ इस कदर हमें आजादी मिली होगी।
वीरों के खून से यह धरती लाल हुई होगी।

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12 AUG 2020 AT 8:04

बार-बार वृंदावन जाऊं, मेरी यह अभिलाषा है।
राधा-कृष्ण का नाम ही, प्रेम की परिभाषा है।

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5 AUG 2020 AT 9:11

सदियों पुरानी पुण्य सभ्यता का मैं पंकज हूं।
गर्व से कहता हूं मैं श्री राम का वंशज हूं।

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2 AUG 2020 AT 10:19

एक बार फिर से वो मौसम लौट आए।
सर्द हवाओं में यारों के साथ चाय मिल जाए।

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1 AUG 2020 AT 10:43

'लड़की तुम्हारे भी होगी'

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26 JUL 2020 AT 10:57

तुम भारत के वीर हो

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21 JUL 2020 AT 19:10

ख़ुद के घाव ख़ुद ही सिलता हूं मैं।
अब फ़ुरसत में ख़ुद से मिलता हूं मैं।

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