कई जगह रातों को जुगनू भी करते हैं उजाला,
रोशनी सूरज की मोहताज नहीं होती ।-
Yash Kelwa
(यश केलवा)
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•अभी तो थोड़ा ही चला हूं,पूरा ... read more
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Joined 16 January 2019
1 SEP 2020 AT 23:15
31 AUG 2020 AT 19:24
थोड़ा सा अलग है मेरा जज़्बातों को जाहिर करने का तरीका,
कहना होता है जब बहुत कुछ मुझे,
तो अपनी कलम से स्याही फैला देता हूं मैं।-
15 AUG 2020 AT 0:13
कुछ इस कदर हमें आजादी मिली होगी।
वीरों के खून से यह धरती लाल हुई होगी।
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12 AUG 2020 AT 8:04
बार-बार वृंदावन जाऊं, मेरी यह अभिलाषा है।
राधा-कृष्ण का नाम ही, प्रेम की परिभाषा है।
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5 AUG 2020 AT 9:11
सदियों पुरानी पुण्य सभ्यता का मैं पंकज हूं।
गर्व से कहता हूं मैं श्री राम का वंशज हूं।-
2 AUG 2020 AT 10:19
एक बार फिर से वो मौसम लौट आए।
सर्द हवाओं में यारों के साथ चाय मिल जाए।
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21 JUL 2020 AT 19:10
ख़ुद के घाव ख़ुद ही सिलता हूं मैं।
अब फ़ुरसत में ख़ुद से मिलता हूं मैं।
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