मैं तब से नही तोड़ पाया अपने होटों का मौन ,
एक अरसे बाद वो मिली और कहा "आप कौन ?"
Yash 👤🖋️-
सड़के है लबालब, पर आंखे सबकी खाली है,
जाने कैसी सफलता है जो भाग कर मिलने वाली है ,
शहर नही ये उद्यान है बहुत बड़ा
" पैसे" यहां के फूल और "मतलब" सबका माली है।
Yash 👤🖋️-
काश इक शहर हो तेरा मेरा,
जहां सिर्फ तेरी मेरी बातें हों 🥰
गर जिक्र हो किसी और का ,
तो लोग रास्ता भूल जाते हो
एक तेरे मेरे मिलन का दिन साफ हो,
बाकी दिन बरसातें हो
उस शहर में ऐसी पहचान बनाए हम,
लोग मुझे मजनू ,तुझे लैला बुलाते हो
ये शहर ख्वाबों और खवाइसो का हैं ,
जहां लोग सर्दियों में गुलाब जलाते हों
मैं पूछूं मंदिर का ठिकाना ,
लोग तेरे घर का रास्ता बताते हों
काश इक शहर हो तेरा मेरा,
जहां सिर्फ तेरी मेरी बातें हों 🥰
Yash 👤🖋️-
अब बाते बताने को जी नहीं करता ,
अब सबको हंसाने को जी नहीं करता ।
जिन गीतों पे मैं झूम जाया करता था ,
अब उन्हें गुनगुनाने को जी नही करता
पाप पे पाप किए जा रहा हूं ,
पर गंगा नहाने को जी नही करता
उसे देख रहा हूं धूप में परेशां होता ,
पर बादल बन जाने को जी नही करता
जिस पे कल तक जान छिड़का करता था ,
आज उसे अपना बताने को जी नही करता
जिनसे बड़ी हक से बातें होती थी ,
आज उनपे हक जमाने को जी नही करता
कटते देख रहा हूं पेड़ आंखों के सामने,
पर कागज़ बनाने को जी नही करता
जिस शहर का हर शख्स जानता हैं मुझे,
बस उस शहर में जाने को जी नही करता
अब सबको हंसाने को जी नही करता 👤
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