ये जग मोहित मुझपे,
मेरे सौंदर्य की क्या किसी से तुलना है,
ये जग मोहित मुझपे,
मेरे सौंदर्य की क्या किसी से तुलना है,
मुद्दतों बाद आज मैं चकाचौंध चांदनी से चमका हूँ
सितारों की चादर संग लिए आज फिर से मैं चटका हूँ।
हूँ ईश् की कृतज्ञ मैं भी तेरे सौंदर्य पर
किंतु न कर ग़ुरूर तू अपने इस नूर पर
हूँ ईश् की कृतज्ञ मैं भी तेरे सौंदर्य पर
किंतु न कर ग़ुरूर तू अपने इस नूर पर
इसी जग में मैं भी किसी की नूर-ए-मल्लिका हूँ।
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