Yänïs Khän  
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Joined 31 January 2018


Joined 31 January 2018
12 JAN AT 13:52

फ़ातिमा बिंते असद तेरी अजमत व हुरमत पे लाखों सलाम तेरे दस्ते शफ़क़त के साए में एक तरफ ताजदार ए रिसालत है और एक तरफ ताजदारे विलायत है मुस्तदरक लिल हाकीम 4575 की हदीस है के नबी सल्लल्लाहो ताला अलेही वसल्लम ने फरमाया फ़ातिमा बिंते असद यानी मेरी ये चाची, मां के बाद मेरी माँ थी, यह खुद नहीं खाती थी मुझे खिलाती थी यह खुद फटे पुराने कपड़े पहनती थी मुझे पहनाती थी ये अपने बच्चों से ज्यादा शफ़क़त करती थी फरमाया मुझे जिब्राइल अमीन ने खबर दिया के फ़ातिमा बिंते असद जन्नत में है अल्लाह ताला मेरी मां पर रहमत नाजिल फरमाए और नबी सल्लल्लाहो ताला अलेही वसल्लम रो दिए आंखों से आंसू जारी थे।

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12 MAY 2024 AT 18:37

दोहरे चेहरे की परख भी कमाल है।
उसे गुमान भी नही है। और हमे पता भी सब है...!

Dohre Chehre Ki Parakh Bhi Kamaal Hai,
Use Gumaan Bhi Nahi Hai Aur Hame Pata Bhi Sab Hai...!

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12 MAY 2024 AT 18:08

शौक पालने की उम्र में जो इन्सान सब्र करना सीख गया, जिन्दगी की आधी जंग तो वो ऐसे ही जीत गया...!

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21 FEB 2024 AT 9:50

मलाल है मगर इतना मलाल थोड़ी है,
ये आंख रोने की शिद्दत से लाल थोड़ी है!!

बस अपने वास्ते ही फ़िक़्रमंद हैं सब लोग,
यहां किसी को किसी का ख़याल थोड़ी है!!

परों को काट दिया है उड़ान से पहले,
ये ख़ौफ़ ए हिज्र है शौक़ ए विसाल थोड़ी है!!

मज़ा तो तब है कि हम हार के भी हंसते रहें,
हमेशा जीत ही जाना कमाल थोड़ी है!!

लगानी पड़ती है डुबकी उभरने से पहले,
ग़ुरूब होने का मतलब ज़वाल थोड़ी है!!

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3 JUL 2023 AT 10:37

वफ़ा पर दग़ा सुल्ह में दुश्मनी है

भलाई का हरगिज़ ज़माना नहीं है

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19 MAR 2021 AT 12:35

ऐ दुश्मने अली दीन के गद्दार सुनो सुनो ऐ यज़ीदियत के तरफदार सुनो जिस से था प्यार का हुक्म उस से तुम इन्कार कर रहे हो तौहीन उनकी शान में तुम बार बार कर रहे हो शहजादी ऐ रसूल को जो कहता है खताकार असल मे नबी ﷺ की इज़्ज़त पर वो करता है वार क्यों पड़ गए हो पीछे मोहम्मद ﷺ की आल के रोज़ाए बदर से ये कीना पाल के बीबी नाराज़ हो गयीं तो जहन्नुम में जाओगे बिगड़ेगी शक्ल हश्र में चेहरा छुपाओगे इज़्ज़ते पंजतन पे जो उंगली उठाओगे। दिल के जैनम के फतवे में आएगा सुन्नियत के नाम पे अभी तुम कितना खाओगे जाहिल जो बुग्ज़ हुआ तो फिर पकड़े जाओगे मुल्ला तू तौबा करले मुकद्दर सँवार ले आती नही शर्म तो किसी से उधार ले असहाबा और आले मोहम्मद ﷺ है बाकमाल जब इनकी बात हो तो अदब का रहे खयाल आएगा हूर्फ़ आल से लेंगे हिसाब तुम से। तोड़ेंगे दांत फिर न बनेगा जवाब तुमसे। अंदर से जो ख़ारजी हो तो चुन चुन के निकाल देंगे। दोजख की लकड़ीयो को दोजख में डाल देंगे जरा इतनी पड़ेंगी लानतें के तुम ही शुमार करना मेरी तरफ से शामिल इस्मे हजार करना हाफ़िज़ निजात चाहिए जिस को बने गुलाम रब ने नबी ﷺ की आल का रखा है ऊंचा मकाम

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21 SEP 2021 AT 10:08


घर से भाग कर की जाने वाली शादी की शरई हैसियत ?
उम्मुल मोमिनीन आयशा رضی اللہ عنھا
कहती है के
रसूल अल्लाह ﷺ ने फ़रमाया !
जो औरत अपने वली कि इज़ाज़त के बगैर निकाह करे उसका निकाह बातिल (नाहक) है उसका निकाह बातिल (नाहक) है उसका निकाह बातिल (नाहक) है
(तिरमिजी ;1102 - इब्न माजा;1879;- निसाई;5394- मुसनद अहमद ; 260
वजाहत !
औरत का बाप उसका वली है,बाप न हो तो भाई या दादा,ताया, चाचा या मामू वली बन सकते है औलिया में इख़्तेलाफ़ यह है के विलायत का पहला हक़ रखने वाला (बाप,भाई,या चाचा) बेदीन हो या ज़ालिम हो और ज़बरदस्ती किसी ज़ालिम फ़ाज़ीर फ़ासिक़ से निकाह करना चाहता हो जबके विलायत का दूसरा या विलायत का दूसरा हक़ रखने वाले ऐसा न करने दे ऐसे में ज़ालिम या बेदीन वली का हक़ विलायत अज़्खुद खत्म हो जाता है फिर गांव की पंचायत या शहर का दीनदार हाकिम या शहर की अदालत अपना हक विलायत इस्तेमाल कर सकती है।
दारुल उलूम इमामे हसनैन अहले सुन्नत वल जमाअत अंता जिला बारां राजस्थान

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19 MAR 2021 AT 11:55

اے دشمنِ علی دین کے غدار سنو سنو اے یزیدیت کے طرفدار سنو جس سے تھا پیار کا حکم اس سے تم انکار کر رہے ہو توہین ان کی شان میں تم بار بار کر رہے ہو شہزادی اے رسول کو جو کہتا ہے خطا کار اصل میں نبی کی عزت پر وہ کرتا ہے وار کیوں پڑ گئے ہو پیچھے محمد ﷺ کی آل کے روزہ اے بدر سے یہ کینہ پال کے بی بی ناراض ہوگئی تو جہنم میں جاؤ گے بگڑے گی شکل حشر میں چہرہ چوپاؤگے عزت پنج تن پے جو انگلی اٹھاؤگے
دل کے زینم کے فتوے میں آئیگا سنیت کے نام پے ابھی تم کتنا خاؤگے جاھل جو بغض ہوا تو فر پکڑے جاؤگے مُلّا تو توبہ کرلے مقدّر سنوار لیے آتی نہیں شرم تو کِسی سے ادھار لے اصحابہ اور آلے محمدﷺ ہیں باکمال جب انکی بات ہوتو ادب کا رہے خیال آئیگا حرف آل سے لینگے حساب تم سے توڈنگے دانت فر نہ بنےگا جواب تمسے اندر سے جو خارجی ہو چن چن کے نکال دینگے دوزخ کی لکڑیوں کو دوزخ میں ڈال دینگے ذرا اتنی پڑےگی لعنتیں کہ تم ہی شمار کرنا میری طرف سے شامل اسمِ ہجار کرنا حافظ نجات چاہیے جس کو بنے غلام رب نے نبی ﷺ کی آل کا رکھا ہے اونچا مقام

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28 FEB 2021 AT 14:03

चमड़े की ज़ुबान से निकला हुआ हर लफ्ज़ एक नज़रिया कायम करता है
वजनदार लफ्ज़ अहमियत बढ़ा देता है। हल्का लफ्ज़ नज़रो से गिरा देता है।

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1 FEB 2021 AT 2:54

कितनी श्याही खरीदोगे हुक्मरानों
हम खून से इतिहास लिख देंगे
न रहो सत्ता में मदमस्त इतना
तुम्हे कलम से कल में लिख देंगे...!

#I_Support_Farmers_Protest

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