मैं उससे आज तक के सारे रिश्ते तोड़ आया हूँ
मैं उसको आख़िरी सफ़ में सिसकता छोड़ आया हूँ-
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छिपाकर अश्क सारे शायरी में ये
अब उसके ख़त जलाते हैं जलाने दो-
है मुझको पता उसका जाना ये तय है ।
किस्तों मे मरेगा अब दीवाना ये तय है ।।-
डायरी के कुछ सितारे स्याहियों संग घुल गए ,
रह गई बाकी लकीरें अब और क्या कुछ नहीं ।।-
तेरा जिस्म एक नशा है और क्या कुछ नहीं ,
शाम होते ही फिर वही और क्या कुछ नहीं ।।-
वैसे दिल रुकने का है ,पर
हम उसके दिल की सुनते हैं।।
कहने को क्या है कह देंगे ।
अच्छा अब हम चलते हैं ।।-
फूलों की बगिया से सब ,
अच्छे फूलों को चुनते हैं ।।
भंवरे को माली से क्या ,
उसके फूलों से रिश्ते हैं।।-
ख्वाबों का क्या है , बुनते हैं।
जब उनकी बातें सुनते हैं ।।
वो अपना गाती रहती है ।
हम अपना धुन ते रहते हैं ।।-
यूं तो मैं आंवारा बादल ,
पर दीवाना ....हां हो भी सकता हूं
वैसे हर एक गली पता है उसके शहर मोहल्ले की
पर उसकी जुल्फों का क्या उनमें तो खो भी सकता हूं
उसके सपनों से जूझ के बस दो पल पहले तो निकला हूँ
पर मुझको कौन तीर मारना मैं फिर से सो भी सकता हूं
किस्से यूं न सुनो मेरे वो भी आंखों से आंख मिलाकर
मैं हंसता भी हूं तो क्या अचानक रो भी सकता हूं …-