Yaduvanshi Abhishek Singh   (यदुवंशी अभिषेक)
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Joined 4 February 2020


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8 MAY 2023 AT 18:56

मैं उससे आज तक के सारे रिश्ते तोड़ आया हूँ
मैं उसको आख़िरी सफ़ में सिसकता छोड़ आया हूँ

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8 MAY 2023 AT 18:51

छिपाकर अश्क सारे शायरी में ये
अब उसके ख़त जलाते हैं जलाने दो

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22 APR 2023 AT 17:25

है मुझको पता उसका जाना ये तय है ।
किस्तों मे मरेगा अब दीवाना ये तय है ।।

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28 JAN 2023 AT 16:26

डायरी के कुछ सितारे स्याहियों संग घुल गए ,
रह गई बाकी लकीरें अब और क्या कुछ नहीं ।।

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28 JAN 2023 AT 16:19

तेरा जिस्म एक नशा है और क्या कुछ नहीं ,
शाम होते ही फिर वही और क्या कुछ नहीं ।।

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5 JUL 2022 AT 1:42

वैसे दिल रुकने का है ,पर
हम उसके दिल की सुनते हैं।।

कहने को क्या है कह देंगे ।
अच्छा अब हम चलते हैं ।।

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5 JUL 2022 AT 1:41

क्या मतलब फूलों के घर में ,
कांटो के पहरे लगते हैं ।।

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5 JUL 2022 AT 1:38

फूलों की बगिया से सब ,
अच्छे फूलों को चुनते हैं ।।

भंवरे को माली से क्या ,
उसके फूलों से रिश्ते हैं।।

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5 JUL 2022 AT 1:35

ख्वाबों का क्या है , बुनते हैं।
जब उनकी बातें सुनते हैं ।।

वो अपना गाती रहती है ।
हम अपना धुन ते रहते हैं ।।

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19 JUN 2022 AT 21:16

यूं तो मैं आंवारा बादल ,
पर दीवाना ....हां हो भी सकता हूं
वैसे हर एक गली पता है उसके शहर मोहल्ले की
पर उसकी जुल्फों का क्या उनमें तो खो भी सकता हूं
उसके सपनों से जूझ के बस दो पल पहले तो निकला हूँ
पर मुझको कौन तीर मारना मैं फिर से सो भी सकता हूं
किस्से यूं न सुनो मेरे वो भी आंखों से आंख मिलाकर
मैं हंसता भी हूं तो क्या अचानक रो भी सकता हूं …

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