उनके चेहरे से उतरते गए नक़ाब धीरे धीरे
हमने भी लगा लिया था हिसाब धीरे धीरे
कोई तो था मेरे सिवा जो बहुत खास था उसे
देने लगे थे मेरे सवाल का जवाब धीरे धीरे
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"उसने मुझे छोड़कर किसी और का
होने का फ़ैसला कैसे कर लिया"
काश ये बात मुझसे ज़्यादा
उसको सताने लग जाए-
क्यूँ न कोसते जायें ज़िन्दगी को यार हम
ज़िन्दगी ने कितने किये ज़ुल्म हम पर
बताएँ क्या-
तुम्हे अपने होठों के
इतना करीब कर लेंगे
के तेरी साँस से जानाँ
हमें भी साँस आएगी-
कोई बुरा वक्त था जो पड़ गए तेरे प्यार में हम
नादान जीत समझ बैठे थे अपनी हार में हम
तुझसे पहले भी यही इंतज़ार था तेरे बाद भी
लगता है के मर न जायें इसी इंतज़ार में हम-
न तुम होगी न तुम्हारा निशाँ जिस वक्त में डूबेंगे
किनारे सौ लोग होंगे मग़र हम तुम्हीं को पुकारेंगे-
जो न होना हो
वो भी चाहे हो जाये
ऐ ख़ुदा...
पर जो ज़िंदा लाश बना दे
ऐसा तगड़ा इश्क़
किसी से ना हो ।-
उड़ने वाले परिंदे ने
मुड़कर भी नहीं देखा
जिस शाख़ पे
वो बैठा था...
देर तलक हाथ हिलाती रही-
जाने वाले के पास रुकने की
हज़ार वजह हो फिर भी
वो बस एक वजह के लिए
चला ही जाता है
और रुकने वाले के पास
जाने की लाख वजह होने के
बावज़ूद रुकने की एक वजह
भी हो तो रुक ही जाता है
इसलिए जाने वाले को रोकना मत'
ठहरने वाले को दिल से लगाए रखना-