यादवेन्द्र रामपाल  
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Joined 26 May 2021


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Joined 26 May 2021

मेरी खुशियों से किसको परवाह है
मेरे सपनो की हकीकत किसको पता है
जिसको देखो वो ग़लत बता रहा है मुझको
अरे मुझसे भी तो पूछो क्या पसंद है मुझको
अपनी मर्जी से ख्याली प्रतिमा बना रहे हो मेरी
सबको दूर जाना है मुझसे और गलती बता रहे हो मेरी
तुम सब दूर हो जाओ पर सपने नहीं छोडूंगा ।
लड़ूंगा आखिरी सांस तक अंत में मिट्टी तो होना है
सपनो को मारकर जिंदा लाश की तरह तो नहीं जीना है

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भोले बाबा
सावन का सोमवार
भोला बड़ा दिलदार
अजब है बाबा का करिश्मा
गजब है बाबा का किरदार
पाए धतूरे का भोजन
मिलाकर लस्सी में भांग
पहने सांपो की माला
भक्तो में बस्ती जान
पडी जरूरत जब देवो को
शीश झुका फिर कृष्णा का
सत्कार और चमत्कार से
नाम मिला उन्हें महादेव का
देवो के देव हर हर महादेव

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भोले नाथ
हम भोले कि फौज में है
असल ज़िंदगी की खोज में है
चिलम की डोज
भांग की मौज में है

सावन माह पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं

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होता खूबसूरती का अहसास
जब जान जान कहते हो तुम
खुशियों की ढाल
जब इकरार ए जज़्बात करते हो तुम
एहसास ए अपनेपन
जब मीट्ठे स्वर से फोन ना करने की शिकायत करते हो तुम
एहसास ए गिला
जब मेरे डाटने पे आंखो पे आंसू ले आते हो तुम
एहसास ए मोहब्बत
जब मेरे रूठने पे मुझे मनाते हो तुम
होता खूबसूरती का अहसास
जब जान जान कहते हो तुम


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शक्ल
उसकी शक्ल में ना जाने क्या खुमार है
वो टुकड़ा चांद का
उसकी झलक पे सारे गम लगते खैरात है
उसके मुस्कराते होठो से छाती जो लालिमा
दृश्य देखकर
खुदा की कसम खुदा भी हैरान है

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जैसे आज बीता दिन
वैसे रोज बीतना है
खुश हो हमसे दूर रहकर तो
तुम्हारी खुशियों में हमको भी शरीक होना है

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कहते हो वक्त नहीं है
ज़रा सच कहना कि वक्त नहीं है
हम भी उतने ना समझ नहीं है
उलझने दिमागी बड़ती जा रही है
पर क्या असर ,
तुम भी सही , हम भी सही है
बस रिश्ता टूटने की बू सी आ रही है
वक्त को बेदर्द देखो
तो आंखो में बौछारें आ रही है

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मोहब्बत का पंझी
दिल के दरवाज़े पे दस्तक देके दफा हो गया
किस्मत तो देखो मेरी
चंद लम्हों में हमसफर मेरा जुदा हो गया
..................
..................
..................
।।।।।।।।।।।।

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यूं दोनों का सामना हुआ
हैरत में एक आइना हुआ
आंखे भर आई मेरी
शर्म से लाल उसका चेहरा हुआ
जो शक्स मुस्कान देते थे मिलके
उसने नज़रे झुकाई।।
मै अनदेखा करके चलता हुआ

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जज़्बा मोहब्बत का हो
तो ही मेरे करीब आना
दो चार दिन की नौटंकियां
हमसे नहीं होती

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