सांवरे तेरे अंश की , ये सांवरी प्यासी है
तेरे दर के आगे, ये दुनिया तो दासी है
देखा है मैंने , तेरे नाम से चमत्कार को
यूं ही नहीं ,दुनिया पूजे विष्णु के इस अवतार को।।-
कि मैं दिल को छू जाऊँ.. तो बताना मुझे
कि तुम बहक गये हो ... read more
दिया उसने सिरा , उसकी जिंदगी की डोर का
कुछ उधड़ी कहीं से, कहीं ज़ख्मों को उसने भी सिला हुआ
दो काश , जिंदगी में खुशी को तलाशते हुए
एक उत्तर तो दूसरी दक्षिण भागते हुए
टकराए एक ऐसी जगह, जहां घूम रहे लाखों लोग
कुछ दिल जले दीवाने , कुछ खुदको बेचते हुए।।-
खुदको वापस आने में वक्त लगेगा
पता नहीं वो खोया हुआ सबकुछ , कब मिलेगा?
यूं तो परवाह मुझे भी है लोगों की
पता नहीं वो बेवरवाह का दाग , कब हटेगा?-
खुशी अब दबाने लगी हूं
खुद को अब दफनाने लगी हूं
जो कहती थी....
कोई पागल ही होगा, जो मुस्कुराता ना हो
उदासी का वही रंग , अब अपनाने लगी हूं-
उम्मीदें अब अफसोस जताती हैं
मुरादें अब खाली हाथ लौट आती हैं
कैसा वक्त है ये मेरा ,
किस्मत की लकीर भी ,अब मुझे आज़माती है
नींद का कुछ ठिकाना कहां??
रातें भी अब मुझे पूरी रात जगाती हैं
सपने धुंधले से हैं , बेजान से कुछ वादे हो गए हैं
मेरी रूह भी अब मुझे अपने आप से भगाती है
जिंदा हूं, चल रही हूं ज़िंदगी की रफ्तार से
ये खुशनुमा ज़िंदगी मुझे क्यों नहीं अपनाती है ???-
कभी फुर्सत मिले तो बात करना
बेवजह यूं ही साथ चलना
मौत काफी है ,एक दूसरे से जुदा करने के लिए
अपने दिल को ये बात समझाना
देरी नहीं हुई , अब भी सब वैसा है
अपने रिश्ते को बस यूं समेटना
कभी फुरसत मिले तो बात करना
बेवजह यूं ही साथ चलना।।-
बोझ बस्ते का , अब ताउम्र उठाने को तैयार हूं
जिंदगी के फलसफों ने, बचपन की कद्र करना सिखा दी-
टुकड़ों में इतना बंट गई हूं
कैसे खुदको समेंटू , वो समझ नहीं आ रहा
रास्ते इतने सारे हैं
कौनसी मंजिल चुनूं, वो समझ नहीं आ रहा
खुदको व्यस्त रखते रखते
क्यों खुदसे भाग रहीं हूं, वो समझ नहीं आ रहा
खोखले से दिल में, कुछ अधूरी मोहब्बत अब भी पनप रही है
क्या वो पूरी होगी, बस वो समझ नहीं आ रहा??-
हवाओं से अब मेरी वार्तालाप नहीं होती
ना जाने क्यों अब ये रात मेरे साथ नहीं सोती
सुबह होने पर शाम का ख्याल आता है
शामें ऐसी जिसमें सुबह का इंतजार सताता है
ना जाने किससे भाग रही हूं मैं
मौसम बदले, दिन बदले , साल गुज़र गए हैं
पूछ रही हूं खुदा तुमसे
मेरा समय क्यों नहीं आता है???
मेरा समय क्यों नहीं आता है???-
कुछ अश्क आंखों में, खुदसे भागने के ना जाने कितने तरीके
कितने रंग दुनिया में, मेरी धुंधली सी ज़िंदगी में सब रंग फीके
तेरी यादों के सागर में, गोते खाते मेरे सलीके
जब तू ही नहीं मेरे पास , तो क्या करूं मैं जी के-