जिंदगी जीने का जरिया बदल रही हूं,,,,
आइना नहीं बस नजरिया बदल रही हूं......-
आंखें उसकी कोई जादूगर हैं जैसे,,,
वो हर बार इनसे करिश्मा कर जाता है.....-
"इश्क" बताना नहीं,,,"निभाना" जरूरी होता हैं
उससे सीखा है मैंने,,,,,,,,,
"इश्क" में सबकुछ बोलकर ही नहीं बताया जाता,
कुछ बातें "आंखें" बेहतर करती है,,,,,,
हर बार उसकी "फिक्र" है ये बताना नहीं,, बल्कि
उसकी फिक्र में बिन बताये सबकुछ कर जाना,,,,
"इश्क" असल में होता क्या है,ये उससे सीखा है मैंने......-
यू तो उसकी बहुत यादें हैं,जो सताती हैं,,,,
पर कुछ जिदें ऐसी हैं जो कुछ ज्यादा ही याद आती हैं......-
मासूमों की मासूमियत में लहलहाता है बचपन,,,
जब होता है तो सब बेफिक्र होते हैं,,,
जाने के बाद सबको बहुत याद आता है बचपन.......-
बचपन कुछ बड़ा हुआ,,जवानी इठलाई,,,,,
देखो ना,,ये ना ठहरने वाली उम्र हमें बुढा़पे तक ले आयी.........-
कि ख्बाबों का क्या है,,वो तो अक्सर बनते टूटते रहते हैं,,,,
कमबख्त ये दिल ख्बाव तो नहीं ,,फिर ये क्यों टूटते रहते हैं.......-
बातें ,मुलाकातें होती रहें तो ,,,अच्छा लगता है,,,
कुछ पल आकर बैठें बोलें तो ,,,अच्छा लगता है,,,
अपनें, अपनें बनें रहें तो ,,,अच्छा लगता है.......-
कहीं भगवान तो कहीं रब है,,,
पर मेरे लिए तो मेरा कृष्ण ही सब है.........-