जात ज्ञात नहीं मेरी मुझें मैं मंदिर मस्जिद एक करता हूँ कही खाना मिल जाता कही चंद पैसे और कही तो मिल जाती इज़्जत भी , पूछ लेता कोई भी साहिब कैसे हो ? मैं बोल देता हूँ ! पक्षपात से रहित हूँ , मंदिर में अगरबत्तियां बेच देता हूँ , और मस्जिद में चादर जात ज्ञात नही मेरी मुझें मैं बस मन्दिर मस्जिद एक कर देता हूँ। -@nehawriter
सोने के पिंजरे में एक पक्षी क़ैद था अंदर ही अंदर घुट मरना पर बाहर निकलना अवैध था दाना पानी सब समय पर मिलता पर अपनी आज़ादी से कई दूर था मानो जैसे पिंजरे से पार निकलना तो दूर यह स्वप्न भी , उसके लिए निषेध था सोने के पिंजरे में एक पक्षी क़ैद था जिसका पिंजरे से बाहर निकलना अवैध था । -@nehawriter
तेरी सांसो में मेरी सांसे मिला दूँ तो एक नई जिंदगी बन जाएंगी तुम कहो तो मैं ख़ुद को तुम पर क़ुर्बान कर दूं मेरे प्यार की आख़िरी निशानी बन जाएंगी ... -@nehawriter