writer veer   (writer veer)
414 Followers · 13 Following

read more
Joined 2 September 2020


read more
Joined 2 September 2020
30 OCT 2021 AT 21:08

न ही वो कोई चांद है न ही कोई सितारा है
मेरा महबूब जो है न! वो इनसे भी प्यारा है।
जिस-जिस से भी की थी उसने मुस्कुराकर बात
वो हर लड़का अब तलक कंवारा है।

-


26 OCT 2021 AT 16:47

वो जो दुश्मन है मेरा नया
मुझे उससे कोई गिला नहीं है
क्या है न! वो मुझसे अभी मिला नहीं है ।
किसी का वक्त जाया न हो हमें नया जख्म देने में
इसीलिए कोई भी‌ जख्म पुराना अभी तक सिला नहीं है।

-


26 OCT 2021 AT 16:16

मिठास है उनके लहजे में उनकी बातों में एक ताजगी है
करती है शरारत उनकी नजरें पर उनके चेहरे पे सादगी है।
गैरों को लगाते हैं गले हमसे बात भी नहीं करते
हमसे ही न जाने ये कैसी नाराजगी है।।
बैठे बैठे खो जाते हैं खयालों में उनके
रब ही जाने कि ये कैसी आवारगी है

-


29 SEP 2020 AT 7:53


करके अपने खुशियों की वशीहत उसके नाम
लेकर गमों की पोटली दर-दर भटकने लगा हूं

जिन्हें पलकों से उतारा नहीं एक पल को भी
अब उन्हीं के आंखों में हर पल खटकने लगा हूं

कैद था उनके पिंजरे में अब तक अपनी मर्जी से मैं
उन्होंने किया आजाद तो हवाओं में पर पटकने लगा हूं

आदत नहीं मुझे बचपन‌ से नशे‌ में शराब की
इसीलिए हर रोज जरा-सा जहर गटकने लगा हूं।।

-


28 SEP 2020 AT 14:40

उफ..... तेरा शरमाना ,पास आना
फिर बिना कुछ कहे चले जाना
अच्छा लगता है
वो मुझे छुप-छुपकर देखना
और मेरी नजरें मिलते ही
तेरी नजरों का झुक जाना
अच्छा लगता है
छोड़कर सहेलियों की संगत वो मेरे लिए
तेरा चलते-चलते रूक जाना
अच्छा लगता है
लोग देते हैं नसीहत हद में रहने की
मगर प्यार में हद से गुजर जाना
अच्छा लगता है

-


27 SEP 2020 AT 21:13

तुझसे दूर हर लम्हा
मेरी जान जा रही है
अब आ भी जा ये बेरूखी कैसी
———तेरी याद आ रही है

-


27 SEP 2020 AT 10:52

कतई पसंद नहीं मुझे
ये सलीका तेरे‌ आने का
दो बातें भी होती नहीं
कि वक्त हो जाता है जाने का।।

-


26 SEP 2020 AT 22:17

थामकर चलती हो जब भी तुम हाथ मेरा
तो जलते हैं लोग
कोई शहजादा तो कोई नवाब कहता है

सुना है.........वो चांद... खूबसूरत है बहुत
होगा पर मेरे किस काम का
मेरी आंखों में तो मेरा महताब रहता है

-


25 SEP 2020 AT 22:36

बडा गुरूर है उन्हैं अपने
समन्दर से हुस्न पर

उलझे जो कभी प्यास से हमारी
सूखे-सूखे फिरेंगे उम्र भर।।

-


25 SEP 2020 AT 12:46

मिलकर हमने सींचे थे जो बागान
वो सब बंजर हो गए

मेरे होंठों में थे जो तेरे होंठों के निशान
वो सब खंजर हो गए

खंडहर पडा़ है अब भी मेरी ख्वाइशों का मकान
मेरी सब सहेलियों‌ के घर हो गए

अब तो आ जाए‌ मौत भी तो गम नहीं होगा
मौत से भी बद्तर सब मंजर हो गए।।



-


Fetching writer veer Quotes