writer Shikha Kashyap  
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Joined 28 May 2019


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Joined 28 May 2019
12 APR AT 19:43

कैसी इबादत करू उसकी
हम मरते थे जिस मुस्कान पर
वो मरता था किसी गैर पर।।

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5 AUG 2022 AT 17:00

वो सख्श मेरे दिल से उतर गया

जिसे मैंने इतना चाहा
वो किसी और का हो गया
बेखबर था वो सच्ची मोहब्बत से
जब खुद तन्हा हुआ तो
सच्ची का अहसास समझ आया।

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4 AUG 2022 AT 1:54

दर्द इतने गहरे है कि
जज़्बात बन कर पन्नो पर उतर जाते हैं।

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10 JUN 2022 AT 20:02

महफिल सूनी है उसकी,
मगर सब मोहब्बत के मारे बैठे हैं।

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14 APR 2022 AT 15:30

इज़हार करु इश्क का उसे ग्वारा नहीं,
और कोई हो जाए मेरा उसे मंजूर नहीं।

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29 JAN 2020 AT 18:43

हैरान हूं तेरे उन्हीं वादों से जो तू करके भूल गया,
कैसे यकीन दिलायू तुझे तेरी लिखी हुई बाते
जब तू अपनी लिखावट ही भूल गया।

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16 NOV 2019 AT 8:33

मैंने अपने सपनों को काच की तरह टूटते देखा है,
उससे किसी और कि बाहों बिखरते देखा है।
जीता था जो कल तक मेरे लिए आज वो हर किसी के लिए मरता जा रहा हैं।

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13 OCT 2019 AT 14:07

हर कोई बदल जाता है वक़्त के साथ तो

जब वक़्त ही नहीं रुकता तो इंसान क्यूं नहीं बदलेगा।

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7 OCT 2019 AT 8:13

अब तुम उसे आपनी सफाई मत देना,
जो तुम्हारे बोलते अल्फ़ाज़ ना समझ सका
वो तुम्हारी ख़ामोशी कैसे समझेगा।

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25 SEP 2019 AT 22:09

मुझे छोड़ने के बाद मुझ जैसी लड़की की चाहत थी उसे,
मुझ जैसी लड़की तो मिली पर मुझ जैसी मोहब्बत ना मिली उसे।

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