Writer Shanky  
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Joined 5 May 2019


Joined 5 May 2019
5 SEP 2023 AT 13:00

" डायरी अज्ञानी "

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8 JUN 2023 AT 1:37



काश! इस वक़्त
काश! उस वक़्त
उफ़ ये वक़्त
उफ़ वो वक़्त
वक़्त बे वक़्त
कभी ना कभी
वक़्त ही देता है
मज़िल और मलाल
वक़्त को कुछ वक़्त दो
वक़्त अगर साथ हो तो
वक़्त, वक़्त को "एक वक़्त" मे बदल देता है

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5 JUN 2023 AT 20:33


ये जो लोग तुम्हे लोगो के बारे मे कहते है
यहीं लोग, लोगो को तुम्हारे बारे मे भी कहते है
तुम्हारे मुँह पर मुझे
और मेरे मुँह पर तुम्हे बुरा कहते है
लोगो का काम है कहना
ये चुप कहाँ रहते है
इंसान बहुत अच्छा था
ये अदभुत पंक्तिया भी
अफ़सोस !
इंसान के मरने के बाद ही कहते है


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3 APR 2023 AT 18:02

श्रावण उत्तर, लाग्यो भादवो
अब तो जाहर वीर -रो एक महिणा रो मेळो भर -सी
कोई नौकरी सु छुटटी लेर आसी
कोई खेती-बाड़ी न छोड़
तो एह छोटकीया टाबर तो छुटटी हाळे दिन
बाबे की पूरी रात ही हाजरी भर -सी
और धोळू तो आ नहन्या टाबरा र मनोरंजन रो मुख्य साधन बण-सी
अब तो रात न बहार जाण वास्ते घरका भी रोळा कोणी कर -सी
कोई ढ़ोल बजा-सी
कोई नाच-सी, कोई बर्तन मांज-सी
तो कई मेऱ जिस्या चाय पिसी और
कोरी ग्वायहा कर-सी
आधी हाली ज्योत र माथे ताजणे पर बोळा भगत थिरक-सी
और बाबो आपरो सकट होण रो प्रमाण धर-सी
कल्याण सिंह जी तो इण बुढ़ापे माथे भी खुद न
अखंड समर्पित कर-सी
और, ओरा न भी प्रेरित कर-सी
साँची बताऊ तो महिणो कोणी
सुकून, आंनद, उंमग और उल्लास है
जीण भाया न छुटटी कोणी मिली उण न पूछ लेया
बे आपरा भाईला न दादोसा हाळे जागरण र दिन तो
समय निकाळ ज़रूर वीडियो कॉल कर-सी

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1 JAN 2023 AT 17:06

कुछ तो याद आता है
वो महफिल वो रातें
कुछ हसीन और
कुछ अनकही बातें
हसीन वो लम्हे और प्यारी वो मुलाक़ाते
कुछ मे फिर
बहुत कुछ याद आता है
कुछ -कुछ मे फिर बहुत कुछ हो जाता है
खुद मे मैं फिर कुछ तुम्हे भी पाता हूँ
वो बात अलग है पहले हद से ज़्यादा चाहता था
अब कुछ नहीं चाहता हूँ
चलो भूल जाओ मेरे कुछ को
मैं तुम्हे कुछ कहना चाहता हूँ
Happy new year.....🧡

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22 DEC 2022 AT 10:21

Life is a story and death is it climax

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13 DEC 2022 AT 10:32

"उम्मीद "
देखने मे बहुत छोटा-सा शब्द हैँ
लेकिन जिंदगी के हर पहलु से यही
जुड़ा हुआ हैँ
यही ख़ुशी का कारण हैँ
यही गम का
यही लगाव का और यही नफरत का
यही एहसास है और यही ख्वाइस
इसलिए जो लोग आप से उमीदें रखते हैँ
उनकी उम्मीदों पर खरा उतरिये
क्यूंकि एहसास खामोशियों की देन है
और खामोशियां हमेशा
उम्मीदों के कारण होती हैँ

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20 FEB 2022 AT 11:21

और तुम भी कहते
ए वक़्त काश !
एक वक़्त, वक़्त भी हो मेरे साथ
उनका आलिंगन
और वो सुनहरी, चांदनी रात
हाथो मे मेरे हो उनका हाथ
बातों -बातों मे हम करते
वो बात
सुबह का भी नहीं होता कोई आभास
और तुम भी कहते
वो रात लाजबाब 😊

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20 JUN 2021 AT 12:14

ख्वाइसे तुझ मे भी है
पर पूरी तू सिर्फ मेरी ही करता है
ज़रूरते तेरी भी है
लेकिन पूरी तू मेरी ही करता है
भूख तुझमे भी है,लेकिन तू सिर्फ रोटी ही खाता है
सुकून से बैठ कर भोजन तू कहाँ कर पाता है
कहीं मेरे बच्चों को भूखे ना सोना पड़े ये सोच के
तू चैन से सो भी नहीं पाता है
थकता तू भी इस ज़िन्दगी की भागदौड़ से
लेकिन तू आराम कहाँ कर पाता है
तू खुद धूप मे जलकर, हमें चैन की नींद सुलाता है
बापू तू खुदा तो नहीं
लेकिन फिर भी खुदा की ही भाँती
हमारी मुसीबतों को हम से चुराता है
तेरे पेड़ रूपी छाया का साया
हमें धूप रूपी कठिनायों के बचाता है
बापू तू चैन,सुकून और आराम हमें क्यों दे देता है
अपने पास क्यों नहीं रख पाता है








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18 JUN 2021 AT 0:32

एक दौर था एक दौर है
कल वो मेरा था
आज उसका कोई और है
मेरी खामोशियो मे भी शोर है
अब मुझ मे मैं नहीं
कोई और है

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