दवा मिलनी मुश्किल थी सो
रोग बदल दिए हमने,
पहले बदला खुदको फिर कुछ लोग बदल दिए हमने।।-
साहब मेरी बात ही कुछ अलग हैं जब में तकलीफ में रहता हु ,मेरे अपने बहुत सुनूक में रहते हैं
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दुनिया घूम ली तेरे लाड़ले ने पर सुकून नही मिला जो है मां तेरी बाहों में
हर वक्त दुआ यही हैं मेरी जब भी सोऊ मां गोद हो तेरी।।-
खामोशी से बढ़कर चाहा था तुमको,
मगर बवाल करती ये दुनिया और
तुम्हारा यूं मुझसे खफा होना
जवाब दे गया।
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तुझमें और मुझमें फर्क बस इतना है तुमने मुझपे यकीन किया न प्यार...
और हा मेने प्यार बाद में तुझपे यकीन पहले किया था ।।-
सब कुछ है तेरे पास, फिर भी तन्हा सा हैं
ए दिल आज किसी अपने की याद में रूठा सा हैं
मत ढूंढ सुकून किसी और की मुहब्बत में
खुद ही से कर प्यार ए गम अब मेरा सा हैं
टूटते हैं रिश्ते हर रोज यहां बाजारों में
तेरा वजूद अब इस जमाने में खिलौनों सा हैं।।-
नौकरी खुद से ही मांगी हुई सजा के जैसी ही है,
जहा खुदके घर जाने के लिए दूसरों से पूछना पढ़ता हैं।।
सबने कहा तुमने नौकरी करके बहुत कुछ पाया है,
पर उनको ये भी नहीं बता पाया की मेने अपना घर, दोस्त यार सब कुछ खो कर पाया हैं।।
“ नौकरी नहीं साहब ये खुदसे मांगी एक सजा हैं ”
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सर्द मौसम में सुबह उठने का मन किसका करता है, साहब
ये जिम्मेदारियां सुबह जल्दी उठने पे मजबूर कर देती हैं।।-
Phir khawaab or zindagi me fark kya reh jata....
Agar wo mera ho jata....-
जिद होनी चाहिए कुछ हासिल करने की,
उम्मीद तो हर कोई लगाकर बैठा हैं।।-