Writer Safar   (Safar jaani)
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Joined 8 February 2020


Joined 8 February 2020
16 APR 2023 AT 17:27

मैं जो ढल रहा हूँ वक़्त से पहले हर रोज आज कल,
तो अब कुछ नया बनकर निकलने चला हूँ,
हाँ जलते हुए जमाने को छोड़कर मैं,
सूरज को पकड़ने चला हूँ।।

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23 MAR 2022 AT 8:54

की मेरे गम की लगी महफ़िल है,
मेरी तनहाइयाँ यहां मेहमान है।
और कहने को जिंदगी में लोग बहुत है,
पर जिंदिगी जी रहा मेरे अंदर एक अकेला इंसान हैं।

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23 MAR 2022 AT 8:43

की अब दौर बेवफाई का है,
और वो वफ़ा की बात करती है।
की अब दौर बदनाम मोह्हबत की है,
और वो मशहूर दोस्ती की बात करती है।

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26 JAN 2022 AT 15:28

New day comes with the struggle of today so never stop your step to moving in a positive way ,
Happy Republic Day

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30 DEC 2021 AT 11:09

अच्छा है हम अकेले है,
न दुनिया मे मशहूर होने की ख़्वाहिश है,
और न ही महफिलों में गुमशुदा हो जाने का डर।।

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30 DEC 2021 AT 11:00

Who can't leave me in dark night..

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11 NOV 2021 AT 20:47

जहाँ अपनो की कीमत मंहगी ,
और सपनों की अहमियत सस्ती थी।

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19 SEP 2021 AT 21:31

वो दगेबाजों में बफ़ादार थे,
मेरी जान वो कुत्ते नही मेरे यार थे।।

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18 SEP 2021 AT 21:49

की पूरा शमशान रो रहा था मेरी मय्यत पर,
जब मेरे अपने मुझे धधकती हुई आग में अकेला जलने को छोड़ आये थे।।

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18 SEP 2021 AT 21:39

की तुम खुश तो हो न आज मैं रो रहा हूँ,
तुझे ढूंढते ढूंढते मैं हजार महफिलों में भटका था,
आज तन्हा होकर ही बेचैनी में सो रहा हूँ।।

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