अरे भई , आईने को हँसाओ कोई
देखकर मुझको मुरझा जाता है
न जाने कौन है जो इसे अक्सर याद आता है
कुछ तो है इसके सामने खड़े शक्स के दिल में
हर रोज ये खुद को कितना रुलाता है
खुदा से गुजारिश है
जिसे माँगा था कभी दुआयों में
उसे भूल जाने को अब दिल चाहता है
अरे भई , आईने को हँसाओ कोई
देखकर मुझको मुरझा जाता है |
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