विश्वास होता दो शब्दों का,
विश(Wish) और आस l
इच्छा व आशा से
करते रहें प्रयास l
इच्छा से ही आशा,
आशा से ही इच्छा l
इच्छा व आशा के दामन से,
करें कर्म हम अच्छा- अच्छा l
विश्वास में विष कहाँ !!
बस रखना याद
खुद पर करो तो
आँखें बंदकर l
औरों पर करो तो
आँखे खोलकर l
विश्वास में विष कहाँ !!
इच्छा कम करो,
आशा खुद से रखो ;
फिर स्वर्ग लगेगा ये जहाँ l
अधिक चाह ,अधिक इच्छा ही
बन जाती है विष,
विश(Wish) में है विष l
विश्वास में विष कहाँ !!-
Writer Amit Sir
(Amit Solanki)
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सकारात्मक
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Joined 25 December 2020
22 JUN AT 20:56
10 APR AT 22:26
सत्य के साथ स्वयं को स्वयं की नज़रों में ऊँचा उठाने का ईश्वर प्रिय गुण ईमानदारी है |
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10 APR AT 22:24
Honesty is the God- loving quality of elevating oneself in one's own eyes with truth.
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9 FEB AT 22:42
किसी भी विद्या या कला को सीखने की क्रमश: चार सीढ़ियाँ 'सुनना' , 'बोलना', 'पढ़ना' व 'लिखना 'होती है ,पर इन सबसे भी पहले प्राथमिक आवश्यकता होती है वह है- देखना या ध्यान देना l देखने या ध्यान देने से ही इन चारों सीढ़ियों पर आसानी से क्रमश: चढ़ा जा सकता है |
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5 FEB AT 22:43
ज़रूरत पड़ने पर एक-दूजे के काम आना, सहयोग करना ही सबसे बड़ा धर्म है|
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