बन बैठे हैं कुछ समाज के भक्षक कहलाने को धर्म के रक्षक, पहुँच गए हैं सदन के गलियारे तक;
मत बांटो हमारे अपने ही 'तिरंगे' के रंगों को मज़हबों में बता 'केसरिया' को एक सच्चे हिंदू की शान और रंग 'हरे' को एक मुसलमाँ की पहचान।
ना ही है हिंदूत्व खतरे में और ना इस्लाम,ना ही है हिंदूत्व खतरे में और ना इस्लाम,
जरा सलीके से तो तुम देखो छिपा है नाम 'राम' रमज़ान में और 'अली' - दिवाली में ;
मत बांटो हमारे अपने ही 'तिरंगे' के रंगों को मज़हबों में बता 'केसरिया' को एक सच्चे हिंदू की शान और रंग 'हरे' को एक मुसलमाँ की पहचान।
-अभी जल्द ही यारों में खाई गई थी 'सिवैयाँ', और उसने भी तो थी मँगवाई दिवाली की 'मिठाइयाँ'।
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