I asked for strength
And God gave me difficulties to make me strong
I asked for wisdom
And God gave me problems to solve
I asked for Love
And God gave me troubled people to help
I asked for favors
And God gave me opportunities
I received nothing I wanted
I received everything I needed-
ना ही बदले तो बेहतर है..
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WHEN THE LAST TREE HAS BEEN CUT DOWN,
THE LAST FISH CAUGHT,
THE LAST RIVER POISONED,
ONLY THEN WILL WE REALIZE
WE CANNOT EAT MONEY.-
हर तरफ़ भीष्म हैं। हर तरफ धृतराष्ट्र अब।
जयघोष में मुठ्ठी भींचते सत्ता के साथ सब।
कोई कुछ ना देखता, कोई कुछ ना बोलता
सही गलत से परे, सब सर झुकाए है खड़े।
आंखे खोलो अश्वत्थामा, देखो इस कुरुक्षेत्र में
आंख मूंदे हो उन्माद में या धूल मली है नेत्र में?
युद्ध के अपराधी तुम हो
दुर्योधन के साथी तुम हो
क्या कभी चेताया मित्र को?
गलत सही बताया मित्र को?
नही! तुमने सिर्फ अंधभक्ति किया है
इसी समर्पण ने उसे इतनी शक्ति दिया है
दुर्योधन तो सुध खो बैठा है उसे सत्ता की होड़ है
हर तरफ चीख, चीत्कार और चिताएं है जिनमे
एक चिता पर लेटे तुम्हारे पिता स्वयं गुरु द्रोण हैं।
क्या अब भी प्रश्न नही करोगे?
क्या लगता है? तुम नही मरोगे?
मानवता के हे अपराधी,
पाप के हो तुम भी सहभागी
क्या भविष्य भी मिटा के मानोगे?
क्या ब्रह्मास्त्र अब किसी गर्भ पर तानोगे?
देखो अपने आसपास!
मची है त्राहि और त्रास
सदियों तक याद रहेगा
यमदूतों का ये अट्टाहास
अपने अपनों से छूट रहे हैं
जीवन-डोर टूट रहे हैं।
अरे! ये क्या!
देखो देखो अश्वत्थामा!
मणि गायब है!
और ये तुम्हे क्या कोढ़ फुट रहे हैं?-
वक्त बेवक्त के सिलसिले..
कुछ दूर तुम चलो..
कुछ दूर हम चलें..
ये सुनहरी धूप अब मुरझाने को है..
ये रात के काले साए अब आने को हैं..
यूँ ही गुमसुम ये मन सवाल करे..
चाँद की दुनिया में तारे बेगाने क्यूँ हैं..
आखिर सुबह के इन्तेज़ार में क्यूँ ये शाम ढले..
कुछ दूर तुम चलो..
कुछ दूर हम चलें..-
Lets go to those unplanned trips,
where the roads are narrow,
where the winds are talking to my hair,
where those sunlights dims,
as the evening drips in,
where my me..
meets your you...-
कुछ ख्वाब धुंधले से, बारिशों के सलवटों में लिपटे हुए मन को छू जाते हैं,
उन ख्वाबों से आगे बढ़कर, जब ये मन सच्चाई के धरातल पर आ गिरता है,
तो मालूम पड़ता है कि वह ख्वाब नहीं थे, महज़ धोखा थे,
सिर्फ एक एहसास, किसी के पास होने का,
सिर्फ चंद पलों का सुकून कि हां तुम भी हो,
हाँ तुम्हारा भी अस्तित्व है,
पर शायद बारिश धीमी हो गयी है,
नींद खुल रही है और ख्वाब टूट रहा है,
और मैं फिर से इसी कोशिश में लेटा हुआ हूं, पंखे की ओर टकटकी लगाए,
कि शायद ख्वाब फिर से आ जाए...-
जिन ठोकरों पर तूने रास्ते बदल लिये,
उन रास्तों का ना कोई मुकाम निकला,
तेरे पीछे पीछे, पूरी दुनिया, चल पड़ी थी मगर,
मेरे दोस्त तू क्यूँ बेईमान निकला,
क्या पड़ी थी तुझे, आखिर वजह क्या रही,
तू कहता, तेरे लिये जान भी हाज़िर थी,
छोड़ गया बेदर्द, ज़रा इल्म तो होता तुझे,
तेरे जनाज़े पर रुठा सा, मेरा सलाम निकला..-
ऐ शाम ज़रा सा थम जा,
रुक जा थोड़ा काजल लगा दूँ,
ठहर जा कहीं तुझे नज़र ना लग जाये,
रात आती ही होगी,
तेरी मासूमियत चुराने..-
अश्के गुलज़ार, इश्क़-ए-माहताब कर रहा हूँ,
मैं शब में यूँ ही, दीदार-ए-आफताब कर रहा हूँ,
इस उन्स से वाबस्ता इज़्तिराब को मिटाने की खातिर,
अपनी अधूरी कहानियों का हिसाब कर रहा हूँ ।-
Her eyes had the glow of thousand constellations
Sparkling through the darkest nights of pain,
Her smile had the virtue of multiverses,
Made from the inherent cuteness of galaxies,
Her face looked pale when she fainted,
Now and then.
But her will was strong enough,
To tell me,
Son..
Its going to be alright, as my time has come,
I was there hoping,
That her light will gleam again,
For once,
But,
Her silence was the end of a dying sun,
Slowly turning into a black hole,
She was dying, and so was I..-