क्या होता है,जब अचानक मिले हुए लोग,
अचानक से गायब हो जाते हैं।
अनजान होता है सबकुछ, खाली हाथ की तरह,
वो आते हैं, जान पहचान होती है।
खाली हाथ में कुछ लेकर नहीं आते,
लेकिन जाते वक्त ऐसा लगता है,वो कुछ छीन लिए।
तहस नहस कर दिए उन एहसासों का,
खाली हाथ से कैसे, या खंजर लिए हैं जो दिखा नहीं।
गलतियां एक बार होती है, दो बार होती है,
जब कोई आपसे अचानक मिले तो गलतियां दिखती नहीं।
जो असल में दुःखो का समंदर लिए आए हैं,
जिसमें डूबने के बाद गलतियों से सांस भर जाती है।
और मौत खटखटाने लगता है।
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✿ Sometimes I really don't care.
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कभी कभी जीवन में आपको अचानक से दुःख होगा,
जिसका कोई ख़ास मतलब नहीं होगा।
लेकिन फिर भी आपका दिमाग जिस तरफ़ इशारा करेगा,
वहां हर पल आपको एक एहसास खटकेगा।
मुझे औरों का पता नहीं, फिर भी अपनी लिख रहा हूं,
जो कभी अचानक से दुःख भरा पल आ जाता है।
जिसमें आंसुओं का कोई स्तित्व नहीं होता,
लेकिन फिर भी हृदय में एक प्रकार का पीड़ा होगा।
ऐसा लगता है की मैंने जब किसी को बहुत क़रीब ला दिया,
चाहे वो कोई भी रिश्ता हो,दोस्ती के आलावा।
और शायद दोस्ती भी, चाहे वो कुछ ही दिनों की ही क्यों न हो,
इस प्रकार की गलती अकसर हो जाती है मुझसे।
महत्व देना, विचार करना, स्मरण करना,पलों को।
जिसका कभी न कभी कोई मायना हो असल जिंदगी में।
उनसे तकलीफें होती हैं, कभी कभी पछतावा भी,
क्यों किसी को इस तरह मान लिया की वो दर्द बन गया।
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लोग कहते हैं की
जब इंसान अपना सब कुछ हार जाता है।
तब वो थकता है,
दुनिया से,खुद से,जिम्मेदारियों से।
लेकिन मुझे नहीं लगता,
की वो उस स्थिति में थक जाता है,
बल्कि वो और ज्यादा सक्रिय होता है,
मजबूत होते जाता है।
क्योंकि बच्चा खाली पेट ही,
ज्यादातर चिल्लाता है।
मां का दूध पीने के बाद तो वो सोते ही रहता है।
इंसान तब हारता है, तब थकता है,
जब वह सब कुछ पा लेता है,
रिश्ते,दौलत और ऐशो आराम।
तब वह सिर्फ अपनी दुनिया में चला जाता है,
जहां उसको,
आसानी से मिले रिश्तों की परवाह नहीं होती।
~ मुकेशऋषि-
कई बार इंसान को लगता है की,
उससे ज्यादा वफादार कोई नहीं है उसके लिए।
यकीन दिलाना भी मुश्किल हो जाता है ख़ुद को,
ख़ुद के लिए भी ख़ुद पर यकीन की जरूरत पड़ जाती है।
आप भीड़ में हैं,जहां सिर्फ़ अपने आप को देख रहे हैं,
जो उनमें एक अलग पहचान लिए खड़ा है।
फिर भी एक कहानी की तरह समझें तो,
प्रोफ़ेसर अपने आप को सर्वश्रेष्ठ मानता था कहानी में,
लेकिन,
आख़िरी बाज़ी मारने वाला वो व्यक्ति कोई और था,
जो उनमें उस वक्त मौजूद था ही नहीं।
"बर्लिन" हां।
~मुकेशऋषि-
जब दो तरफा विपरीत लोग होते हैं,
तब उन्हें,एक अंक अपने नजर से अलग दिखता है।
लेकिन,
सिर्फ़ एक अंक को छोड़कर बाकी के सभी।
खेल को अलग दिशा में लेके चले जाते हैं।
वैसा ही, हम और आप हैं।
कोई 6 को 9 देखता है,तो कोई 9 को 6 देखता है,
लेकिन आमने सामने होकर,यानी खिलाफ।
पता है, समाज में सिर्फ़ एक ही अंक का महत्व रखा जाता है,
जबकि सभी अंक अपने अपने तरीके से सत्य हैं।
और आप उलझे होंगे, कभी कभी अपने ही खेल में।
नजरंदाज भी नहीं कर सकते,क्योंकि लोग कहते हैं।
हां,बस यही तरीका बदलना है,जीने के लिए,
आप अपनी जिंदगी सिर्फ एक ही अंक में बीता दिए।
असल में उदाहरण ही जिंदगी का सुलझा हुआ धागा नहीं है,
बल्कि उस सत्य में उलझ कर भी अपना नज़रिया बदला जा सकता है।
~ मुकेशऋषि
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हमेशा बेहतर बनने की कोशिश में,
जो बेहतर होता है वो भी खो जाता है।
एक पल में, सबकुछ सामने से।
तुम ये समझ सकते हो,
दूसरों के कंधो पर बंदूक रख के चलाने जैसा है।
जहां तक मुझे ये लगता है,वहां तक,
मैं भी यही बेहतर कहने जा रहा हूं।
ऐसा ही है, क्योंकि अपना कंधा नहीं दुखेगा,
ये भी एक बेहतरी का मिशाल है।
तुम्हें ये सब आसान लगेगा,है और भी।
एहसास जब होगा, तब बहुत देर हो चुका होगा,
तुम्हें ये समझ आएगा जब।
की दूसरों के कंधो पर बोझ देके,
उन्हें पूरी तरह से मजबूत कर दिए हो तुम।
और ख़ुद को बेहतर समझने के चक्कर में नाज़ुक।
और तब तक बहुत देर हो चुका होगा,
ख़ुद को मजबूत और बेहतर बनाने के लिए।
~ मुकेशऋषि
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मंदिर, मस्जिद या चर्च क्यों बनवाए जाते हैं?
शायद!
इसका जवाब हर किसी के पास है।
फिर भी कुछ लोग उलझे हुए होते हैं, इनमें।
बेशक,जब हम उलझे हुए होते हैं,
जब आशाएं ख़त्म होने लगती है।
जब हम किसी को सबकुछ सुनाना चाहते हैं।
फिर भी,
कोई ऐसा शख्स नहीं मिल पाता है।
जब हम हताश होते हैं, हार चुके होते हैं।
तमाशा देख रहे होते हैं ज़िन्दगी का।
मौत भी जब साथ नहीं देती उस समय।
तभी, जरूरत पड़ता है हमें,
वो चीज जिसके कारण हम भी नहीं जानते।
कभी कभी होशियार, तो कभी बेवकूफ बनते हैं।
यही वो वजह है, मुकाम है।
जहां सब कुछ बिना सोचे उगलते हैं।
सुनने वाला हमें कुछ नहीं कहता।
उसके बाद एक भारी बोझ हमारे माथे से,
कुछ पल के लिए हल्का हो जाता है।
~मुकेशऋषि
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लिखते - लिखते मन में कई ख्याल आते हैं,
अपना यहां कौन है, हम ख़ुद को समझाते हैं।
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माया का संसार है, यहां लोग मायावी पाते हैं,
कुछ प्रेम में सराबोर भए,लोग भी मिल जाते हैं।
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मुस्कुराहटों को चहेरे पर लिए,गमों को छुपाते हैं,
बनकर किसी और की खुशियां,घुलमिल जाते हैं।
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यहां अपना पराया का फर्क पता कैसे किया जाए,
मुझे सब में अपनापन दिखता है,अता कैसे किया जाए।
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रिश्तों में कई प्रकार के आकार मिल जाते हैं यहां,
मां के समान कभी कभी बहनें मिल जाती हैं यहां।
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