Rutha Mt Karo mujhe manane nhi aata
Mohabbat be imtehaan krti hun
Par Jatana nhi aata.
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Passion to write poetry.
My poem is imaginary, don't add it to my life.
Hobbies:- I wa... read more
आहिस्ता-आहिस्ता दिल के करीब वो आने लगे
इस दिल में मोहब्बत के फूल खिलने लगे,
आहिस्ता-आहिस्ता आँखों-आँखों में बातें होने लगी
सरारत भारी निगाहों से सरारते होने लगी,
आहिस्ता-आहिस्ता मिलने के बहाने ढूढ़ने लगे
दुनिया की नज़रों से चोरी छुपे मिलने लगे,
आहिस्ता-आहिस्ता कदम से कदम मिला कर चलने लगे
हाथों में हाथ थाम साथ चलने लगे,
आहिस्ता-आहिस्ता दो दिल मिलने लगे
मोहब्बत के फूल दिलों में खिलने लगे।
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जिने का सहारा मिला,
तू जो मिला तोह! डूबती
हुई कस्ती को किनारा मिला।-
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दिसंबर अपने साथ कई यादों को
ले कर जाने वाला हैं,
इस साल बहुत कुछ खोया हैं हमने,
कुछ अपनों को तोह कुछ रिश्तों को,
जाते जाते ये दिसंबर बहुत कुछ सिखाते
जा रहा हैं,
चेहरे के पीछे छुपे कई चेहरे दिखाते जा रहा हैं।-
तुझसे लिपट कर!
जी भरकर रोना चाहती हूँ,
एक दफ़ा में फिरसे जीना चाहती हूँ।-
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समय तो लगेगा खुद को सँभालने में
समय तो लगेगा उससे भूल जाने में
समय तो लगेगा खुद को समेटने में
समय तो लगेगा एक दफ़ा फिर से जिने में
समय तो लगेगा सब कुछ भूल कर मुस्कुराने में।-
मुश्किल था उससे भूल पाना,
उसकी यादों को भूल पाना,
उसकी मोहब्बत को भूल पाना,
उसकी सरारत भारी अदाओं को
भूल पाना।-
क्यों डरी-डरी सहमी-सहमी सी रहती हो
क्यों खुद को ख़ुदी से छुपा के रखी हो,
खुल कर सामने आने से डरती हो,
खुद में उलझी उलझी सी रहती हो,
कुछ ना कहती हो चुप हर दर्द सहती हो,
हो! सबसे अलग ये कहने से घबराती हो।
क्या कहेगा समाज! एक लड़की हो कर
एक लड़की को चाहती हो,
इस डर से घुट-घुट कर रहती हो,
अंदर ही अंदर दर सहती हो,
कोई पहचान ना ले इसलिए सबसे
अपनी पहचान छुपाती हो,
पर कब तक चलेगा ऐसा!
कब तक समाज के डर से
घुट-घुट कर डर-डर कर जीती रहोगी,
अपनी पहचान सबसे छुपाते रहोगी,
एक लड़की हो कर लड़की को चाहना
ये कोई पाप नहीं,
भागो मत खुद से और इस समाज से,
सामना करो खुद का और समाज का,
और अपनी एक नई पहचान बनाओ
अपने अस्तित्व को उज़ागर करो,
अपने अंदर की रोशनी से
जग रोशन कर जाओ।
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