मिला फ़िर भी ना मिला, ये मलाल कहाँ जाएगा
मिलेगा ख़्वाब में ही कहीं, विसाल कहाँ जाएगा
रात अब कितनी गहरी होगी, उजाल कहाँ जाएगा
हर दिन भारी हुआ मुझ पर, ये साल कहाँ जाएगा
महफ़िलों में शोर होंगे बहुत, ख़्याल कहाँ जाएगा
ख़लिश ख़ल्वत में होगी, सुकूँ मुहाल कहाँ जाएगा
बिन छुए यूँ नफ़स में उतरना, कमाल कहाँ जाएगा
मिटा देना वज़ूद फ़िर, हुनर बेमिसाल कहाँ जाएगा
ताल्लुक़ात तो तोड़ दोगे तुम, जाल कहाँ जाएगा
महसूस होगा तुम्हें भी, इश्क़ मजाल कहाँ जाएगा
सियाह रातों में जलेंगे दोनों, ज़वाल कहाँ जाएगा
बड़ा पक्का था रंग मेरा, इस खाल कहाँ जाएगा
वाकिफ़ हूँ वो मेरा नहीं, एहतिमाल कहाँ जाएगा
आख़िर मैं उसका क्यूँ हुआ, ये सवाल कहाँ जाएगा
कश्मकश रात होगी, दिन का हाल कहाँ जाएगा
मोहब्बत अगर पूरी हो जाए, मिसाल कहाँ जाएगा
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