आधुनिक युग में स्वार्थ के लिए लोग एक दूसरे के साथ आते हैं और फिर काम निकल जाने पर भूल जाते हैं।
-
दिल को आदत सी हो गई है टूट जाने की,
अब कहां खौफ रहा है किसी के इनकार का।-
एक लड़का जो बड़ी से बड़ी चोट लग जाने पर भी मुंह से आह नही निकालता
वो रो पड़ता है किसी खास, किसी छोटी सी खुशी के लिये किसी मासूम बच्चे की भांति
पर वो अहंकार में डूबे लोग नहीं समझ पाते है उन आंसुओ की कीमत, एक के बाद एक उसके साथ वही करके जाता है.................-
साल के आखिरी दिन भी नहीं दिया उन्होंने वक़्त हमें
अब तो आने वाले साल में भी औकात में है रहना हमे।-
मुर्शिद
हमारी गलती ये रही कि,
हमने काबिल बनने से पहले उम्मीद कर ली थी।
-
चेहरे से बफादार, दिल के बड़े काले,
तड़पता छोड़ जाते है,मेरी जात देखने वाले।
-
बाबा फरीद ने पंजाबी में क्या खूब कहा है-
वेख फरीदा मिट्टी खुल्ली, (कबर)
मिट्टी उत्ते मिट्टी डुली; (लाश)
मिट्टी हस्से मिट्टी रोवे, (इंसान)
अंत मिट्टी दा मिट्टी होवे (जिस्म)
ना कर बन्दया मेरी मेरी, (पैसा)
ना ऐह तेरी ना ऐह मेरी; (खाली जाना)
चार दिना दा मेला दुनिया, (उम्र)
फ़िर मिट्टी दी बन गयी ढेरी; (मौत)
ना कर एत्थे हेरा फेरी, *(पैसे कारन झुठ, धोखे)
मिट्टी नाल ना धोखा कर तू, (लोका नाल फरेब)
तू वी मिट्टी मैं वी मिट्टी; (इंसान)
जात पात दी गल ना कर तू,
जात वी मिट्टी पात वी मिट्टी, (पाखंड)
जात सिर्फ खुदा दी उच्ची,
बाकी सब कुछ मिट्टी मिट्टी।-